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Good morning : राष्ट्रीय विज्ञान दिवस; विज्ञान के अस्तित्व को बनाए रखने तथा विज्ञान की महत्वता बताने का दिन

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस राष्ट्रीय स्तर पर अर्थात भारत भर में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण दिवस है। विज्ञान के अस्तित्व को बनाए रखने तथा विज्ञान की महत्वता बनाने के लिए इस दिन को देशभर में आयोजन के तौर पर मनाया जाता है। पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस(National Science Day) 28 फरवरी, 1987 को मनाया गया था। उसी के बाद से हर वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज को जागरूक करना व उनमें वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से मनाया जाने वाला विशेष दिवस है। इसमें हम विज्ञान के प्रति लोगो को जागरूक करते हैं क्योंकि आज भी हमारे देश में बहुत सारे लोग विज्ञान की महत्व को नहीं जानते हैं।

विज्ञान की मदद से इंसानों ने कई तरह की खोज कर, अपने जीवन को ओर बेहतर बना लिया है. विज्ञान के जरिए ही आज हम लोगों ने नई तरह की तकनीकों का आविष्कार किया है. वहीं हर रोज ना जाने हम विज्ञान की मदद से बनाई गई कितनी तकनीकों और चीजों का इस्तेमाल करते हैं. इतना हीं नहीं इसके जरिए ही हम लोग नामुकिन चीजों को मुमकिन बनाने में कामयाबी भी रहे हैं. विज्ञान की मदद से ही हम अंतरिक्ष में पहुंचने से लेकर रोबोट, कंप्यूटर जैसी चीजे बनाने में सफल हो पाए हैं. ऐसे में विज्ञान हमारे जीवन में काफी महत्व रखता है और हर स्कूल में इस विषय को बच्चों को पढ़ाया जाता है. वहीं भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में काफी योगदान दिया है. भारत की धरती पर कई महान वैज्ञानिकों ने जन्म लिया है और इन महान वैज्ञानिकों की बदलौत ही भारत ने विश्व भर में विज्ञान के क्षेत्र में अपना एक अलग ही औदा बनाया हुआ है। भारत में वर्ष में एक दिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है| आइये जानते हैं राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब मनाते हैं और क्या है इस वर्ष की थीम।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब मनाया जाता हैं ? 
भारत में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है| इसी दिन सन 1928 में महान भौतिक विज्ञानी सर सी. वी रमन (Chandrashekhar Venkat Raman) ने रमन इफ़ेक्ट की खोज की थी, जिसके लिए 1930 में उन्हें भौतिक विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था| विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार के लिए राष्ट्रीय परिषद् (NCSTC)  ने 1986 में भारतीय सरकार को 28 फरवरी को नेशनल साइंस डे घोषित करने की सलाह दी| जिसके बाद यह दिन 28 फरवरी 1987 से हर साल स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और सभी मेडिकल, प्रौद्योगिक संस्थानों में मनाया जाता है| विज्ञान दिवस के समारोह में सार्वजानिक भाषण, विज्ञान की फिल्में, प्रदर्शनी, वाद-विवाद और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है|

कौन थे सीवी रमन ?
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस सीवी रमन की उपलब्धि को लेकर ही शुरू हुआ इसलिए उनके बारे में जानना बेहद जरूरी है। सीवी रमन का पूरा नाम था चंद्रशेखर वेंकट रमन। उनका जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिलापल्ली में हुआ था। उनके पिता गणित और भौतिकी के लेक्चरर थे। उन्होंने विशाखापट्टनम के सेंट एलॉयसिस एंग्लो-इंडियन हाईस्कूल और तत्कालीन मद्रास के प्रेसीडेन्सी कॉलेज से पढ़ाई की। प्रेसीडेन्सी कॉलेज से उन्होंने 1907 में एमएससी पूरी की। यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास में उन्हें फिजिक्स में गोल्ड मेडल मिला। 1907 से 1933 के बीच उन्होंने कोलकाता में इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस में काम किया। इस दौरान उन्होंने फिजिक्स से जुड़े कई विषयों पर गहन रिसर्च की।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह का महत्त्व
तेजी से बदलते विश्व में जहाँ वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति समाजों को नया आकार दे रही हैं, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का वार्षिक उत्सव कई कारणों से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है, जैसा कि नीचे सूचीबद्ध है:
हमारे वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करता है: रमन प्रभाव की खोज का उत्सव मनाने वाला एक राष्ट्रीय उत्सव हमारे राष्ट्र के पूरे वैज्ञानिक समुदाय को सम्मानित करने के समान है। यह उन्हें अपने वैज्ञानिक प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करता है।
विज्ञान के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह के हिस्से के रूप में आयोजित आउटरीच कार्यक्रम विभिन्न वैज्ञानिक अवधारणाओं और हाल की प्रगति की सार्वजनिक समझ को व्यापक बनाने में मदद करते हैं।
वैज्ञानिक स्वभाव को बढ़ावा देता है: इस दिन आयोजित विभिन्न व्याख्यानों, वाद-विवादों, प्रश्नोत्तरी और प्रदर्शनियों के माध्यम से लोगों को नवीनतम वैज्ञानिक प्रगति के बारे में शिक्षित किया जाता है और उनमें वैज्ञानिक स्वभाव और तार्किक सोच को विकसित किया जाता है। इस प्रकार, यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51A में निहित एक मौलिक कर्तव्य को लागू करने में मदद करता है।
युवा मन में जिज्ञासा जागृत करता है: प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं और विज्ञान मेलों जैसी आकर्षक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को विज्ञान से मजेदार और इंटरैक्टिव तरीके से परिचित कराया जाता है, जिससे उनके मन में इसके लिए जुनून पैदा होता है।
भारतीय विज्ञान में प्रगति को उजागर करता है: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पूरे भारत में विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में नवीनतम उपलब्धियों और पहलों का प्रदर्शन करने के रूप में कार्य करता है। यह राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा देता है और भविष्य की पीढ़ियों को वैज्ञानिक करियर बनाने के लिए प्रेरित करता है।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है: विज्ञान को राष्ट्रीय स्तर पर मनाकर, भारत वैज्ञानिक प्रगति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करता है और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदायों के साथ सहयोग के लिए द्वार खोलता है।
वैज्ञानिक आधार को सशक्त करता है: भविष्य की पीढ़ियों को वैज्ञानिक प्रगति में योगदान करने और विज्ञान के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रेरित करके, यह हमारे राष्ट्र के वैज्ञानिक आधार को मजबूत करता है।
इस प्रभाव की ऐतिहासिक वैज्ञानिक खोज के स्मरणोत्सव से कहीं अधिक, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह का महत्त्व भारत की वैश्विक वैज्ञानिक महाशक्ति बनने की चल रही यात्रा को दर्शाता है। अतीत का सम्मान करके, वर्तमान का उत्सव मनाकर और भविष्य की कल्पना करके, यह भारत की वैज्ञानिक प्रगति को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक ऐसा दिन है जो एक बेहतर कल के लिए खोज एवं नवाचार करने की राष्ट्र की सामूहिक आकाँक्षा को पुष्ट करता है, जहाँ सभी के लिए अधिक न्यायसंगत, टिकाऊ और समृद्ध दुनिया बनाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने का उद्देश्य
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच में विज्ञान के प्रति ओर जागरूकता पैदा करना है. इतना ही नहीं इस दिवस के जरिए बच्चों को विज्ञान को बतौर अपने करियर को चुनने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है. ताकि हमारे देश की आनेवाली पीढ़ी विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान दे सके और हमारे देश की ओर तरक्की हो सके।
* इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस घोषित करने का एक मुख्य मकसद रमन प्रभाव और डॉक्टर चंद्रशेखर रमन को सम्मान देना तो था, ही इसके अलावा भी इसके कई अन्य उद्देश्य थे जो इस प्रकार है।
* हमारे दैनिक जीवन में विभिन्न वैज्ञानिक आविष्कारों कि महत्ता बताना भी इस दिन को मनाने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
* मानव कल्याण और प्रगति के लिए वैज्ञानिक क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करना भी इस दिन को मनाने के उद्देश्यों में शामिल है।
* विज्ञान और वैज्ञानिक विकास के लिए इसी दिन सभी मुद्दो पर चर्चा की जाती है और इसी दिन नई तकनिको को लागू भी किया जाता है।
* देश में कई ऐसे लोग है, जो वैज्ञानिक सोच रखते है, इन लोगो को मौका देना और इन्हे अपने काम के लिए प्रोत्साहित करना भी इस दिवस को मनाने का एक उद्देश्य है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 का विषय
प्रत्येक वर्ष की तरह भारत इस वर्ष भी 28 फरवरी 2024 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (NSD) का उत्सव मना रहा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अनुसार, इस वर्ष के समारोह का विषय “विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियाँ” होगा। इस दिवस का लक्ष्य भारत में स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास और उपयोग को बढ़ावा देना है, जो आत्मनिर्भरता और सतत विकास को बढ़ावा देगा। समारोह में सरकार, शोध संस्थानों, स्टार्ट-अप्स, शैक्षणिक संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने पर भी ध्यान दिया जाएगा। “विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक” है । यह विषय वैश्विक चुनौतियों से निपटने और सभी के लिए अधिक टिकाऊ भविष्य बनाने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। यह विषय इस प्रकार के क्षेत्रों पर केंद्रित है:
जलवायु परिवर्तन:  जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए समाधान विकसित करना।
संसाधन की कमी:  पानी, ऊर्जा और भोजन जैसे प्राकृतिक संसाधनों के स्थायी प्रबंधन की खोज।
पर्यावरणीय क्षरण:  प्रदूषण नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन और जैव विविधता संरक्षण के लिए रणनीतियों को लागू करना।
सतत विकास:  पर्यावरण की रक्षा करते हुए आर्थिक समृद्धि प्राप्त करने के लिए विकास रणनीतियों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को एकीकृत करना।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस  की थीम्स
* 2022 – “Integrated Approach in S&T for Sustainable Future“
2010-“दीर्घकालिक विकास के लिए लैंगिक समानता, विज्ञान व तकनीक”।
2011–“दैनिक जीवन में रसायन”।
2012–“स्वच्छ ऊर्जा विकल्प और परमाणु सुरक्षा”।
2013–“अनुवांशिक संशोधित फसल व खाद सुरक्षा”।
2014 -“वैज्ञानिक मनोवृत्ति को प्रोत्साहित करना”।
2015 –“राष्ट्र निर्माण के लिए विज्ञान”।
2016 –“देश के विकास के लिए वैज्ञानिक मुद्दों पर सार्वजनिक प्रशंसा बढ़ाने का लक्ष्य”।
2017 –“विशेष रूप से एबल्डपर्सन के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी”।
2018–“एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान व प्रौद्योगिकी”।
2019–“विज्ञान के लिए जन और जन विज्ञान के लिए विज्ञान”।
2020 –“विज्ञान में महिलाएं”।
2021–“एसटीआई का भविष्य, शिक्षा, कौशल व कार्य पर प्रभाव”।

रमन इफ़ेक्ट की कहानी 
डॉ सी वी रमन जब लंदन से भारत आ रहे थे तो समुंद्री रास्ते में उनके मन में यह सवाल आया कि समुन्द्र का रंग नीला क्यों है| आज से पहले Rayleigh ने यह बात की व्याख्या कर दी थी कि प्रकाश के बिखरने का क्या कारण है (Scattering of light) और आसमान का रंग नीला क्यों है जिसके रिफ्लेक्शन से पानी भी नीला दिखता है| लेकिन रमन ने इस बात से संतुष्ट नहीं थे|  भारत पहुँचने के तुरंत बाद उन्होंने इस विषय में खोज करना शुरू कर दिया| फिर कई सालों की खोज के बाद 28 फरवरी 1928 को उन्होंने रमन इफ़ेक्ट की बात दुनिया के सामने रखी जिसमें बताया गया कि जब कोई प्रकाश की किरण किसी चीज में पड़ती है तो प्रकाश के छोटे कर्ण जिसे फोटोन कहते हैं उसकी ऊर्जा (energy) में काफी परिवर्तन आता है, इसका मतलब टकराने के बाद scattered फोटोन की एनर्जी या तो बड़ जायेगी या कम हो जाती है| यह Rayleigh की व्याख्या से अलग बात थी जिन्होनें इलास्टिक scattering की बात करी थी जहाँ फोटोन की energy में कोई बदलाव नहीं आता था| सी वी रमन ने अपने रमन इफ़ेक्ट की व्याख्या से समुन्द्र के नीले होने की अपनी परिभाषा बताई| उन्होंने कहा आकाश से आने वाली प्रकाश की किरणें जब पानी पर पड़ती हैं तो वह फोटोन से उतनी ही एनर्जी लेती हैं जितनी उसे excite या vibrate होने में जरुरत हो| बाकी की ऊर्जा वह वापस release कर देती हैं| इस प्रकार higher फ्रीक्वेंसी (ज्यादा ऊर्जा) वाली किरणें कम फ्रीक्वेंसी (यानि ज्यादा wavelength) में बदलकर वापस आसमान में बिखर जाती हैं| कम wavelength हो जाने से उसके रंग में भी बदलाव आता है|

संबंधित अवधारणाएँ, रमन प्रभाव क्या है?
संक्षेप में, रमन प्रभाव प्रकाश की तरंगदैर्ध्य में उस परिवर्तन को संदर्भित करता है जो तब होता है जब प्रकाश की किरण पदार्थ के अणुओं द्वारा प्रकीर्णन के पश्चात् विक्षेपित हो जाती है। जब प्रकाश की एक मोनोक्रोमैटिक किरण किसी पदार्थ के धूल रहित, पारदर्शी तल से होकर गुजरती है, तो उसके प्रकाश कण (फोटॉन) पदार्थ के अणुओं से असमान टकराव करते हैं। इन टकरावों के कारण आपतित प्रकाश का एक भाग आपतित किरण की दिशा के अतिरिक्त अन्य दिशाओं में प्रकीर्णन हो जाता है। प्रकाश-अणु परस्पर क्रिया के दौरान ऊर्जा के विनिमय के आधार पर, प्रकीर्णन प्रकाश निम्न प्रकार की प्रकाश तरंगों में से एक से युक्त होता है:
रेले प्रकीर्णन (Rayleigh Lines): प्रकाश का एक बड़ा भाग अपरिवर्तित होकर वापस लौट आता है। इस प्रकार, परावर्तित प्रकाश के एक बड़े भाग की तरंगदैर्ध्य आपतित प्रकाश के समान होती है। इसे रेले प्रकीर्णन कहा जाता है।
स्टोक्स रमन प्रकीर्णन: जब प्रकीर्णित प्रकाश का एक छोटा-सा भाग पदार्थ के अणुओं से टकराता है इस पूरी प्रक्रिया के परिणामस्वरूप ऊर्जा का विनियमन होता है। इस प्रकार, परावर्तित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य आपतित प्रकाश से अधिक होती है। इसे स्टोक्स रमन प्रकीर्णन के रूप में जाना जाता है।
एंटी-स्टोक्स रमन प्रकीर्णन: जब प्रकीर्णित प्रकाश का कुछ हिस्सा परस्पर क्रिया करने वाले अणु से ऊर्जा प्राप्त करके अधिक ऊर्जा के साथ परावर्तित होता है। इस प्रकार, इस परावर्तित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य आपतित प्रकाश से कम होती है। इसे एंटी-स्टोक्स रमन प्रकीर्णन कहा जाता है।
इस प्रकार, स्टोक्स रमन लाइनों और एंटी-स्टोक्स रमन लाइनों की तरंगदैर्ध्य आपतित प्रकाश से भिन्न होती हैं। प्रकीर्णित प्रकाश के कुछ भाग की तरंगदैर्ध्य में होने वाले इस परिवर्तन को रमन प्रभाव कहा जाता है।

रमन प्रभाव के अनुप्रयोग
इस प्रभाव का उपयोग रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी में किया जाता है, जो पदार्थों के रासायनिक संरचना को निर्धारित करने और जाँचने के लिए उपयोग की जाने वाली एक विधि है।इस तकनीक का आधार यह है कि प्रकीर्णित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य में होने वाले परिवर्तनों की मात्रा और प्रकृति प्रत्येक अणु के लिए विशिष्ट होती है और इसकी कंपन और घूर्णन ऊर्जा अवस्थाओं के बारे में जानकारी प्रदान करती है। इस परिवर्तन का विश्लेषण करके, वैज्ञानिक अणु की पहचान कर सकते हैं और उसकी संरचना, संरचना और अन्य गुणों का अध्ययन कर सकते हैं।
सामग्री विश्लेषण: रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, भूविज्ञान और चिकित्सा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सामग्रियों की पहचान और लक्षण वर्णन करना।
दवा की खोज और विकास: जैविक प्रक्रियाओं में शामिल अणुओं की संरचना और व्यवहार की पहचान और अध्ययन करना।
पर्यावरण निगरानी: हवा, पानी और मिट्टी में प्रदूषकों का पता लगाना और निगरानी करना।
फोरेंसिक विश्लेषण: अपराध स्थलों पर अज्ञात पदार्थों और सामग्रियों की पहचान करना।
खाद्य सुरक्षा: खाद्य संदूषकों और मिलावटों की पहचान करना और उनका विश्लेषण करना।
कला बहाली: कला सामग्रियों की संरचना और उम्र का विश्लेषण करना और जालसाजी की पहचान करना।

चंद्रशेखर वेंकट रमन का जीवन परिचय
डॉ. सी. वी. रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिल नाडु में हुआ था| उनके पिता एक गणित और भौतिकी विज्ञान के प्रोफेसर थे| रमन ने मद्रास कॉलेज से फिजिक्स में मास्टर की डिग्री हासिल करी| सी वी रमन की सरकारी नौकरी लगने के बाद उन्होंने विज्ञान के छेत्र में अपना करियर चुना जहाँ भारत सरकार की ओर से उन्हें स्कॉलर्शिप के लिए भी चुना गया| उन्होंने स्टील की स्पेक्ट्रम प्रकृति, स्टील डायनामिक्स के मुलभुत मुद्दों पर शोध किया| वह तबला और मृदंगम की सुरीली प्रकृति (harmonic nature) की खोज करने वाले भी पहले व्यक्ति थे| सन 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया|

वर्ल्ड साइंस डे फॉर पीस एंड डेवलपमेंट
10 नवंबर के दिन पूरी दुनिया में वर्ल्ड साइंस डे फॉर पीस एंड डेवलपमेंट मनाया जाता है. इस दिन पूरी दुनिया में विज्ञान को लेकर कई तरह के सैमीनारों का आयोजन होता है. इतना ही नहीं इस दिन विज्ञान से जुड़े फायदों के बारे में भी लोगों को बताया जाता है. साल 2002 में सबसे पहले इस दिवस को मनाया गया था. वहीं जब से लेकर अभी तक इस दिवस को हर साल इस दिन मनाया जाता है।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस वैज्ञानिकों की उपलब्धियों और समाज में उनके योगदान का जश्न मनाता है। यह हमें महत्वपूर्ण खोजों को याद रखने में मदद करता है और विज्ञान ने हमारे जीवन को कैसे बदल दिया है। यह युवाओं को विज्ञान में रुचि लेने और इसे एक करियर के रूप में मानने के लिए भी प्रोत्साहित करता है। यह दिन वैज्ञानिक सोच को भी बढ़ावा देता है और हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व को समझने में हमारी मदद करता है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाना वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और समर्पण को पहचानने और भावी पीढ़ियों को नई चीजों की खोज जारी रखने के लिए प्रेरित करने का एक तरीका है।

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