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महिला सुरक्ष एवं उनके विरुद्ध घटित अपराध के प्रति जागरुकता पर पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन, विवेचना में चैन ब्रेक न हो : डॉंगी

महिला सुरक्ष एवं उनके विरुद्ध घटित अपराध के प्रति जागरुकता पर पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन, विवेचना में चैन ब्रेक न हो :  डॉंगी

दुर्ग। 18 मार्च, 2024, (सीजी संदेश) : नेताजी सुभाषचंद्र बोस राज्य पुलिस अकादमी चंदखुरी में महिला सुरक्ष एवं उनके विरुद्ध घटित अपराध के प्रति जागरुक करने के लिए पुलिस अनुसंधान एवं विकास व्यूरो (बीपीआरएण्डडी) के निर्देशानुसार 18 से 22 मार्च 2024 तक पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
इस कार्यशाला में छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न ज़िलों से आए पुलिस अथिकारियों को संबोधितकरते हुए अकादमी के निदेशक  रतन लाल डांगी ने कहा कि – महिला संबंधी अपराथों की विवेचना के दौरान विवेचक अधिकारी को विवेचना की चैन ब्रेक न हो इसका ध्यान रखना चाहिए । विवेचना के 05 आधारस्तम्भ के संबंध में जानकारी साझा करते हुए कहा कि विवेचक अधिकारी को एफआईआर लेखन से लेकर न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुत करने तक, विवेचना की चैन नहीं टूटनी चाहिए। प्रत्येक बारिकीयों का ध्यान रखा जाना चाहिए। चैन टूटने से आरोपी को संदेह का लाभ मिल जाता हैऔर वह दोषमुक्त हो जाता है। मजिस्ट्रेट द्वारा दोनों पक्षों को निरष्पक्ष रूप से सुना जाता है, विवेचकअधिकारी द्वारा विवेचना पद्धति एवं जुटाए गये साक्ष्य अनुसार न्यायालय द्वारा निर्णय लिया जाताहै, इसलिये विवेचना दौरान विवेचक अथिकारी द्वारा किसी भी प्रकार की गलती नहीं की जानी चाहिए। अपराधी हमारी गलती की वजह से दोषमुक्त होता है तो इससे उसका हौसला बढ़ता है और पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता है। आपके द्वारा अपने-अपने जिलों में कई मामलों में उत्कृष्ठ विवेचना कर पीडित को न्याय, और दोषी को सजा दिलाया गया होगा। यदि आपके पास अपने विवेचना से संबंधित जानकारी हो तो उसे इस कार्यशाला के माध्यम से साझा करें। पीड़ित को न्याय दिलाने में चूक होने पर अपने आपसे सवाल करना चाहिए कि आरोपी इक्यूटल क्यों हो गया। समाज का विश्वास हम पर है। अपराधियों पर हम भय पैदा कर सकते हैं, यह कार्य केवल लाठी डंडे से नहीं किया जा सकता, आरोपियों के विरूद्ध उच्च स्तर की विवेचना कर सजा दिलाने से भी किया जा सकता है। लाखों लोगों की इच्छा होती है कि वह पुलिस अधथिकारी बने, पुलिस में सेवा दे और पीड़ितों को न्याय दिलाये। किन्तु सभी की इच्छायें पूरी नहीं होती। ईश्वर और प्रकृति उन्हें ही मौका देती है, जिनकी भावनायें अच्छी होती है, जो न्याय दिलाने में मदद करने की सोचता है। समाज के प्रति हमेशाअव्छा भाव रखें। वर्दी वाले कहीं भी खड़े होंगे पहचाने जायेंगे। वर्दी पहनने का मौका मिला, उसके लिये ईश्वर को धन्यवाद करें और न्याय संगत होकर कार्य करें। कुछ लोग कहते हैं कि पुलिस पर विश्वास नहीं है पर मैं कहता हूँ सबसे ज्यादा विश्वास पृलिस पर है। घटना घटित होने पर पीड़ित हर बात अपने माता-पिता, रिश्तेदार या परिजन से नहीं कह पाता लेकिन पुलिस अधिकारी के पास पीड़ित अपनी हर बात बेझिझक कह देता है, इससे पुरलिस पर उसका विश्वास परिलक्षित होता है। पुलिस को कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है, गालियां खानी पड़ती है किन्तु हमें रिवेन्ज वाला नहीं बनना है। जिस प्रदेश में क्राइम कम होगा, उस प्रदेश की उन्नति तेजी से होगी। छत्तीसगढ़ को शांत प्रदेश के रूपमें जाना जाता है, यहां के लोग बहुत ही सज्जन हैं।।विवेचक अधिकारियों को महिला संबंधी अपरायों पर पीड़ित के प्रति सहानुभूति दिखाना होगा, संवेदनशील होना होगा और पीड़ित की बात को ध्यान से सुनना होगा। विवेचना में साइंटिफिक तरीकों का प्रयोग कर एविडेंस को कलेक्ट कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होगा जिससे आरोपीको सजा एवं पीड़ित को न्याय मिल सके। इस कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को इस विषय पर ट्रेनर के सूप में प्रशिक्षित करने की मंशा हमारी और बीपीआरएण्डडी की है, जो यहां से प्राप्त प्रशिक्षण का लाभ न केवल अपनी विवेचना के दौरान उठायेंगे अपितु अपने थानों में अपने अधीनस्थों को साझा कर उन्हें भी इस प्रशिक्षण का लाभपहुंचायेंगे।
इस पाँच दिवसीय कार्यशाला में सभी पुलिस अधिकारियों को महिलाओं से संबंधित कानूनी प्रावधानों में नवीनतम संशोधनों एवं वैज्ञानिक अनुसंधान की प्रक्रियाओं से अवगत कराया जाएगा। साथ ही न्यायालयों द्वारा प्रसारित दिशा निर्देश के संबंध में भी बताया जाएगा। इस कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर अकादमी के पूलिस अथीक्षक जयंत वैष्णव, अतिरिक्त पुलिस अथीक्षक पंकज शुक्ला, उप पुलिस अथीक्षक श्रीमती रूपा खेस, एडीपीओ  शुभम तोमर एवं समस्त अकादमी प्रशिक्षण स्टॉफ उपस्थित रहे।

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