लैंगिक समानता के उद्देश्य को पूरा करने और लड़कियों और महिलाओं को वैज्ञानिक, तकनीकी और गणितीय अध्ययन (scientific, technical, and mathematical studies) में शामिल होने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 11 फरवरी को 2015 में विज्ञान में महिलाओं और लड़कियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. हाईयर एजुकेशन में अपनी भागीदारी बढ़ाने में काफी प्रगति करने के बावजूद इन क्षेत्रों में अभी भी महिलाओं की भागीदारी कम है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के मुताबिक लगभग 30 प्रतिशत छात्राओं ने गत वर्ष उच्च शिक्षा के लिए STEM से संबंधित क्षेत्रों का चयन किया. यही नहीं महिला छात्राओं की संख्या प्राकृतिक विज्ञान आईसीटी गणित एवं सांख्यिकी तथा निर्माण इंजीनियरिंग एवं मैन्युफैक्चरिंग में भी अपेक्षाकृत कम है.
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के मुताबिक लगभग 30 प्रतिशत छात्राओं ने गत वर्ष उच्च शिक्षा के लिए STEM से संबंधित क्षेत्रों का चयन किया. यही नहीं महिला छात्राओं की संख्या प्राकृतिक विज्ञान आईसीटी गणित एवं सांख्यिकी तथा निर्माण इंजीनियरिंग एवं मैन्युफैक्चरिंग में भी अपेक्षाकृत कम है.साइंस और टेक्नोलॉजी तेजी से तब विकास करता है, जब महिलाओं की समान भागीदारी होती है। विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को और अधिक मजबूत करने के लिए 11 फरवरी को दुनिया भर में इंटरनेशनल डे ऑफ़ वीमेन एन्ड गर्ल्स इन साइंस मनाया जाता है। महिलाएं और लड़कियां रिसर्च में विविधता लाती हैं। महिलाएं विज्ञान को पेशेवर विस्तार देती हैं। वे साइंस और टेक्नोलॉजी को नए दृष्टिकोण प्रदान करती हैं। इ इससे सभी को लाभ होता है। साइंस और टेक्नोलॉजी में विकास से मानव जाति का कल्याण होता है। आम जनजीवन सुचारू ढंग से चल पाता है। इसलिए साइंस और टेक्नोलॉजी में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना बहुत जरूरी है। हाल के कुछ वर्षों में भारतीय महिलाओं ने भी साइंस और टेक्नोलॉजी में अपना परचम लहराया। इस लैंगिंक असमानता को दूर करने के लिए ही अंतर्राष्ट्रीय महिला वैज्ञानिक दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष सारी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय महिला वैज्ञानिक दिवस का 9वीं सालगिरह मनाई जाएगी. आइये जानते हैं इस दिवस विशेष से संबंधित कुछ रोचक और आवश्यक जानकारियां…
यूनाइटेड नेशंस की पहल
यूनाइटेड नेशंस ने 11 फरवरी को इंटरनेशनल डे ऑफ़ वीमेन एन्ड गर्ल्स इन साइंस (International Day of Women and Girls in Science-11 February) मनाना शुरू किया। इन महिलाओं के बारे में जानने (women scientist of India) से पहले जानते हैं क्या है इंटरनेशनल डे ऑफ़ वीमेन एन्ड गर्ल्स इन साइंस (International Day of Women and Girls in Science) ।
अंतरराष्ट्रीय महिला वैज्ञानिक दिवस का इतिहास
साल 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय महिला वैज्ञानिक दिवस के रूप में घोषणा किया था. इस दिवस विशेष को लागू करने में यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र महिला का भी पूर्ण समर्थन था. यूनेस्को की वैश्विक प्राथमिकता लैंगिक समानता है, फिर वह चाहे कोई भी क्षेत्र हो. यूनेस्को युवकों के समानांतर युवतियों को भी उनकी शिक्षा में समान सहायता प्रदान करता है. यूएजीए का लक्ष्य महिलाओं और लड़कियों के लिए विज्ञान में पूर्ण और समान पहुंच और भागीदारी हासिल करना है. इसका लक्ष्य लैंगिक समानता हासिल करने के साथ-साथ विज्ञान को बढ़ावा देना है।
अंतरराष्ट्रीय महिला विज्ञान दिवस का महत्व
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं एवं लड़कियों की महत्वपूर्ण भूमिका का मार्ग प्रशस्त करने हेतु महिलाओं एवं लड़कियों हेतु अंतर्राष्ट्रीय महिला वैज्ञानिक दिवस मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से लोगों को महिला वैज्ञानिकों के बारे में पता चलता है. इस दिवस विशेष के तहत स्कूली छात्राओं को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जाने की प्रेरणा मिलती है. इस कारण माता-पिता भी विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका के बारे में जागरूक होते हैं, और अपनी बेटियों को वैज्ञानिक बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के कारण ही लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलता है. लड़कियों को शिक्षा के बेहतर अवसर और समान अधिकार प्राप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अहम भूमिका निभाता है।
इंटरनेशनल डे ऑफ़ वीमेन एन्ड गर्ल्स इन साइंस 2024 की थीम
हर साल दुनिया के ज्यादातर देशों में 11 फरवरी को इंटरनेशनल डे ऑफ़ वीमेन एन्ड गर्ल्स इन साइंस (International Day of Women and Girls in Science-11 February) मनाया जाता है। यह दिवस इस बात की याद दिलाता है कि महिलाएं और लड़कियां विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनकी भागीदारी को और अधिक मजबूत किया जाना चाहिए। इस दिवस की थीम (International Day of Women and Girls in Science 2024 theme )है -महिलाएं और लड़कियों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के समान अवसर मिलने चाहिए। विज्ञान सभी के लिए खुला होना चाहिए (Bringing Communities Forward for Sustainable and Equitable Development)।
साइंस की दुनिया में भी कायम Gender Imbalance
साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स (एसटीईएम) के क्षेत्र में महिलाओं ने दुनिया भर में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और यहां तक कि सफल नेतृत्व भी दिखाया है. हालांकि, जब महिलाओं के हिस्सेदारी की बात आती है तो विश्व स्तर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण लैंगिक असमानता (gender imbalance) देखने को मिलती है. विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों को शामिल करने के लिए कई पहल की गई हैं, फिर भी इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में बहुत बड़ा अंतर है. संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 2030 भी एजेंडे के एक आवश्यक घटक के रूप में विज्ञान में लैंगिक समानता रखता है।
क्यों मनाना जरूरी है अंतर्राष्ट्रीय महिला विज्ञान दिवस?
अंतर्राष्ट्रीय महिला वैज्ञानिक दिवस विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की उपलब्धियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य हर उन महिलाओं एवं लड़कियों को विज्ञान के क्षेत्र में उपयुक्त शिक्षा दिलाना और आवश्यकता पड़ने पर उच्च शिक्षा के लिए साधन और सुविधा उपलब्ध कराना है, ताकि विज्ञान में दिलचस्पी लेने वाली लड़कियों को महिला वैज्ञानिकों के बारे में जानने और खुद भी उस दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा प्राप्त कर सकें।
विज्ञान में महिलाओं की क्या भूमिका है ?
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि 2018-19 में एक्स्ट्रामुरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) परियोजनाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी 28% थी, जो 2000-01 में 13% थी। अनुसंधान एवं विकास में महिलाओं का अनुपात चार गुना से अधिक बढ़ गया। 2000-01 में यह 232 से बढ़कर 2016-17 में 941 हो गया।
विश्व में महिला वैज्ञानिकों की स्थिति!
* संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिक शीर्ष महिला वैज्ञानिकों की रैंकिंग में शीर्ष पर हैं. अमेरिका में साल 2023 में करीब 609 महिला विद्वानों को स्थान दिया गया है. अन्य देश यूके (96 वैज्ञानिक), जर्मनी (37 वैज्ञानिक) हैं।
* हर 10 महिला वैज्ञानिकों में से 7 संयुक्त राज्य अमेरिका से हैं।
* हार्वर्ड विश्वविद्यालय 2023 की शीर्ष महिला वैज्ञानिकों की रैंकिंग में अग्रणी है, उस संस्थान से 40 प्रमुख महिला विद्वान संबद्ध हैं।
* विश्व की सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की प्रोफेसर जोएन ई. मैनसन हैं, जो महामारी विज्ञान, एंडोक्रिनोलॉजी और महिलाओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने अग्रणी शोध के लिए जानी जाती हैं।
* दुनिया भर में विज्ञान अनुसंधान में कार्यरत लगभग 33 प्रतिशत महिलाएं हैं. एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि अपने पुरुष साथियों की तुलना में महिलाओं को किसी पेटेंट या लेख पर नाम दिये जाने की संभावना कम होती है और उनके योगदान को अनदेखा कर दिया जाता है।
भारत की 5 महिला वैज्ञानिक जिन्होंने साइंस और टेक्नोलॉजी में परचम लहराए हैं
रितु करिधाल : मिशन चंद्रयान-3 के पीछे महिला वैज्ञानिक रितु करिधाल का हाथ रहा है।इसरो ने डॉ. रितु करिधल श्रीवास्तव की अध्यक्षता में भारत के तीसरे चंद्र अन्वेषण रॉकेट चंद्रयान -3 को लॉन्च किया था। यात्रा में 54 महिला वैज्ञानिकों की टीम ने भाग लिया। इसरो के जीएसएलवी मार्क 3 एलवीएम-3 रॉकेट ने मिशन पूरा किया, जिसका लक्ष्य 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे चंद्रमा पर सौम्य लैंडिंग करना था। यह उपलब्धि न केवल मून रिसर्च को बढ़ावा देती है, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर करती है। ‘भारत की रॉकेट महिला कहलाने वाली डॉ. रितु करिधल, इसरो के भीतर वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर के पद पर हैं। उनके शानदार करियर में भारत के मंगल ऑर्बिटर मिशन, जिसे मंगलयान के नाम से जाना जाता है, के लिए सब संचालन निदेशक की भूमिका भी शामिल है।
अनुराधा टी. के. : अनुराधा टी. के सम्मानित भारतीय वैज्ञानिक हैं। उन्होंने संचार उपग्रहों में विशेषज्ञता हासिल की। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में वे परियोजना निदेशक रह चुकी हैं। जीसैट-12 और जीसैट-10 जैसे उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण प्रयासों में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। कई दशकों तक वे सबसे वरिष्ठ महिला वैज्ञानिक रह चुकी हैं। अनुराधा टी.के. को इसरो में सैटेलाइट प्रोजेक्ट डायरेक्टर की प्रतिष्ठित भूमिका तक पहुंचने वाली पहली महिला होने का गौरव प्राप्त है।
दिशा नाइक : एयरपोर्ट फायर फाइटर में लैंगिक सीमाओं को तोड़ते हुए दिशा नाइक भारत की पहली महिला एयरपोर्ट फायर फाइटरफायरमैन बन गईं। वे उनका साहसिक कार्य तब शुरू हुआ जब वह मोपा, गोवा में एयरोड्रम रिकवरी और फायरफाइटिंग यूनिट में शामिल हुईं। विमान रिकवरी के लिए क्रैश फायर टेंडर संचालित करने वाली वे पहली महिला बनीं। यह मील का पत्थर न केवल पारंपरिक भूमिकाओं में बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि देश में उन्हें विविध और निष्पक्ष अवसर मिलने के सबूत भी देता है।
मीनल रोहित : मीनल रोहित प्रतिष्ठित भारतीय वैज्ञानिक और सिस्टम इंजीनियर हैं। वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से संबद्ध हैं। उन्होंने मंगल ग्रह पर मंगलयान अंतरिक्ष जांच की विजयी यात्रा को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अकादमिक ख्याति अर्जित करने के बाद रोहित इसरो के प्रतिष्ठित पदों तक पहुंचीं। कुशल मैकेनिकल इंजीनियरों की एक टीम के सहयोग से, उन्होंने मार्स ऑर्बिटर मिशन को अपनी विशेषज्ञता प्रदान की। इसमें सिस्टम मॉनिटरिंग और अंतरिक्ष यान की वास्तुकला में जटिल रूप से बुने गए मीथेन सेंसर जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं की देखरेख की गई। एमओएम लॉन्च के लिए उन्होंने सिस्टम इंटीग्रेशन इंजीनियर की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मौमिता दत्ता : मौमिता दत्ता निपुण भारतीय भौतिक विज्ञानी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। वे अहमदाबाद में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के प्रतिष्ठित दायरे में वैज्ञानिक या इंजीनियर के रूप में कार्य कर रही हैं।
वे ऑप्टिकल उपकरणों के स्वदेशी विकास में लगी एक समर्पित टीम का नेतृत्व कर रही हैं।वे वे विशेष रूप से इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। उनका अटूट समर्पण ‘मेक इन इंडिया’ के साथ पूरी तरह मेल खाता है।
विज्ञान में महिलाओं और लड़कियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस वैज्ञानिक समुदाय में विविधता और समावेशिता के महत्व की याद दिलाता है। यह मानता है कि महिलाओं और लड़कियों ने पूरे इतिहास में एसटीईएम क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और वे समान अवसर और मान्यता की हकदार हैं।इस दिन, हम उन महिलाओं और लड़कियों का जश्न मनाते हैं जिन्होंने बाधाओं को तोड़ दिया और वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया। यह विज्ञान में लैंगिक समानता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने और युवा दिमागों को एसटीईएम की अनंत संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करने का एक अवसर है। आइए हम विज्ञान में महिलाओं और लड़कियों को समर्थन और सशक्त बनाना जारी रखें, यह सुनिश्चित करते हुए कि ज्ञान और नवाचार की तलाश में उनकी आवाज़ और प्रतिभा को सुना जाए और महत्व दिया जाए।
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