सर्दियों या बदलते हुए सर्द गर्म मौसम नहाने में बरती गई लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती है। सर्दियों में बाथरूम स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ जाते हैं। इसका कारण होता है वातावरण का तापमान बहुत अधिक ठंडा होना। इसी तापमान के बीच व्यक्ति जब ठंडा पानी अपने सिर पर डालता है। जैसे ही सिर पर ठंडा पानी पड़ता है और पूरे शरीर पर पहुंचता है। इससे ब्रेन में एड्रनलिन नाम का हॉर्मोन तेजी से रिलीज होता है जिसका काम तापमान को नियंत्रित करने का होता है। तेजी से एड्रनलिन हॉर्मोन रिलीज होने की वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। बीपी बढऩे से दिमाग में रक्त संचार तेजी से बढ़ता है जिस वजह से बाथरूम में नहाते वक्त ब्रेन स्ट्रोक हो जाता है जिसे स्ट्रोक इन बॉथरूम कहा जाता है। नहाते वक्त जब शरीर और पानी के तापमान में असंतुलन होता है तो सिर के कुछ हिस्से तेजी से एक्टिवेट होते हैं जिस वजह से स्ट्रोक (पक्षाघात) का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में रोगी को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाना जरूरी है।
आहार से लेकर दिनचर्या तक, सर्दियों के मौसम में हर स्तर पर सेहत का विशेष ख्याल रखना सभी लोगों के लिए आवश्यक हो जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं भले ही आप पूरी तरह से स्वस्थ हैं फिर भी थोड़ी सी लापरवाही आपके लिए कई प्रकार की मुश्किलें बढ़ा सकती है। इसी क्रम में सर्दियों के मौसम में नहाने के लिए किस तरह के पानी का इस्तेमाल करते हैं, इसपर भी ध्यान देना बहुत जरूरी हो जाता है। अध्ययनों में पाया गया है कि इस मौसम में ठंडे पानी से नहाना जानलेवा समस्याओं का कारण बन सकता है, ऐसे कई मामलों में लोगों की जान भी गई है, इसलिए सभी लोगों को विशेष ध्यान देते रहने की सलाह दी जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सर्दियों में बहुत ठंडा या बहुत गर्म, दोनों ही तरह के पानी से नहाना नुकसानदायक हो सकता है, हालांकि ठंडे पानी को ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसके कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिसे जानलेवा माना जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि किस तासीर के पानी से ठंड के मौसम में नहाना चाहिए? आइए इस बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।
ठंडे पानी से हो सकते हैं कई प्रकार के जोखिम
सर्दियों में ठंडे पानी से नहाने के कई प्रकार के जोखिम हो सकते हैं। ठंडे पानी से नहाने को इस मौसम में सुरक्षित नहीं माना जा सकता है, इसके कारण गंभीर और जानलेवा स्थितियों का जोखिम हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, ठंडे पानी से नहाने के कारण स्ट्रोक के अलावा हार्ट अटैक का भी खतरा बढ़ जाता है, इसको लेकर सभी लोगों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।
ठंडे पानी के कारण हो सकती है धमनियों की समस्या
ठंडे पानी में डुबकी लगाने से शरीर का तापमान अचानक से कम होने के साथ पेरिफेरल वैस्कुलर रेजिस्टेंस बढ़ जाता है, यह स्थिति तेजी से ब्लड प्रेशर को बढ़ा देती है जिससे स्ट्रोक और हार्ट अटैक हो सकता है।
बुजुर्गों में बाथरूम स्ट्रोक का खतरा अधिक
बुजुर्गों में बाथरूम स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। इसका कारण होता है कि 60 की उम्र के बाद दिमाग की कोशिकाएं कमजोर होती हैं। जैसे ही ब्लड प्रेशर बढ़ेगा और रक्त का संचार बढ़ेगा धमनियों में खून का प्रवाह तेज होता है जिससे अचानक थक्का जम जाता है। ऐसे में सर्दियों में नहाते वक्त हल्का ठंडा और गरम पानी मिलाकर नहाना चाहिए जिससे शरीर को ठंड का अहसास कम हो और दिमाग को शरीर का तापमान संतुलित करने के लिए एड्रनलिन हॉर्मोन रिलीज न करना पड़े।
पहले नाभि और हाथ-पैर पर डालें पानी
सर्दियों में नहाते वक्त पानी सबसे पहले नाभि और हाथ पैर पर डालना चाहिए। नाभि हमारे शरीर का सबसे सेंसिटिव पॉइंट होता है। हमारे शरीर की 70 हजार से अधिक नस – नाड़ियां इससे जुड़ी होती है नाभि पर पानी पड़ने से हमारे शरीर को तुरंत संदेश पहुंच जाता है और शरीर सावधान हो जाता है इसके अलावा पानी हाथ-पैर पर पडऩे से शरीर उस हिसाब से तैयार हो जाता है और ब्लड प्रेशर संतुलित रूप में बढकऱ स्नान के दौरान व्यक्ति को सुरक्षित रखता है। कोशिश ये करें कि नहाते वक्त ठंडा और गरम पानी एक साथ मिला लें जिससे शरीर और ब्रेन को संतुलन करने के लिए ज्यादा काम न करना पड़े।
धूप में नहाने की कोशिश न करें
बचाव के लिए सर्दियों में धूप में नहाने की कोशिश बिलकुल न करें, खुले में नहाने से बचें हवा से शरीर को नुकसान होगा, बीमार हैं और कमजोरी है तो ठंडे पानी से न नहाएं, नहाने के बाद धूप में कुछ समय बैठना जरूरी हैं, स्ट्रोक आने पर तुरंत रोगी को हायर सेंटर पहुंचे जिससे समय रहते उपचार मिल सके।
ज्यादा गर्म पानी भी हानिकारक
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सर्दियों में ठंडे पानी से नहाना गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है, वहीं ज्यादा गर्म पानी से भी नहाना नुकसानदायक माना जाता है। अधिक गर्म पानी से नहाने की आदत त्वचा संबंधी विकारों जैसे सूखापन, खुजली के अलावा बालों की जड़ों को कमजोर कर सकती है। नहाने के लिए हमेशा हल्के गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। पानी का तापमान न तो बहुत अधिक हो, न बहुत कम। ज्यादा गर्म पानी से नहाने की आदत त्वचा की नमी के प्राकृतिक संतुलन को भी बाधित कर देती है।
तीन घंटे के भीतर पहुंचे अस्पताल
बाथरूम स्ट्रोक होने पर पीडि़त को तीन घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचाना चाहिए। ऐसे रोगियों की जिंदगी बचाने के लिए टीपीए नाम का इंजेक्शन देते हैं जो थेरोपेटिक ट्रीटमेंट है। तीन घंटे के भीतर इस इंजेक्शन के लगने के बाद सिर में बहने वाला खून पतला होने के साथ क्लॉट (खून का थक्का) धीरे-धीरे खत्म हो जाता है।
इलाज या बचाव के उपाय
डॉक्टरों के अनुसार, दिमाग की सेहत अच्छी करने के लिए रेगूलर एक्सरसाइज, मेडिटेशन, ताजी हवा, ज्यादा पानी पीना, और शतरंज या पजल हल करने जैसे खेल अच्छे माने गए हैं। यानी मोटे तौर पर लाइफ स्टाइल, हमारी खराब आदतें ही हमें एक ऐसी बीमारी की ओर धकेल रही हैं जिससे होने वाला नुकसान अक्सर स्थायी होता है. सबसे जरूरी बात, अगर आप ब्लड प्रेशर या डायबिटीज के मरीज हैं तो इन दोनों बीमारियों को दवाओं और बेहतर लाइफ स्टाइल से काबू में रखें. वहीं, अगर आप नियमित व्यायाम करते हैं चाहे वो आधे घंटे की सैर ही क्यों ना हो. योग और ध्यान करते हैं. पानी पर्याप्त मात्रा में पी रहे हैं और सेहतमंद खाना खाते हैं जिसमें नमक की मात्रा, तेल की मात्रा, चीनी और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पर आपका कंट्रोल है, तो आप स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकते हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े
हर 4 में से एक व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक का खतरा होता है. स्ट्रोक के शिकार होने वाले 20 फीसदी लोग 40 वर्ष से कम उम्र के होते हैं. गांवों में ब्रेन स्ट्रोक की समस्या शहरों के मुकाबले ज्यादा देखी गई है. भारत में स्ट्रोक मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।
इलाज में देरी तो अपंगता का खतरा
ब्रेन स्ट्रोक होने पर रोगी को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाना चाहिए क्योंकि देरी की वजह से खून का थक्का दिमाग की दूसरी कोशिकाओं और हिस्से तक पहुंच जाता है जिससे व्यक्ति के कोमा में जाने का खतरा 70 फीसदी अधिक हो जाता है। अचानक कोई बाथरूम में बेहोश हो जाए तो उसे भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। बेहोशी के कई कारण हो सकते हैं और देरी पर जान भी जा सकती है।
डिस्क्लेमर- यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में योग्य चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
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