अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपके जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित कर सकता है, जिसमें आपका शारीरिक स्वास्थ्य, रिश्ते, काम और समग्र कल्याण शामिल हैं। दुर्भाग्य से, अधिक लोग शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं और मानसिक आत्म-देखभाल के साथ-साथ आपके समग्र स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के महत्वपूर्ण संबंध को समझने में विफल रहते हैं। किसी व्यक्ति पर मानसिक स्वास्थ्य की शक्ति को पूरी तरह से समझने के लिए, हमें पहले यह समझना होगा कि मानसिक रूप से स्वस्थ होने का क्या मतलब है।
मानसिक स्वास्थ्य का व्यक्ति की दिनचर्या पर काफी असर पड़ता है। जब व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ होता है, तो उसका हर काम काफी अच्छे से होता है। लेकिन, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने पर व्यक्ति दिनभर चिड़चिड़ा महसूस कर सकता है। ऐसे में मानसिक समस्याओं से बचाव करना जरूरी है और इसके लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि मानसिक स्वास्थ्य है क्या। इसी उद्देश्य के साथ हम इस लेख में मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने के लक्षण की जानकारी लेकर आये है। तो चलिए, सबसे पहले विस्तार से समझते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य आखिर हैक्या।
मानसिक स्वास्थ्य क्या होता है?
किसी भी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का संबंध उसकी भावनात्मक (इमोशनल), मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिकल) और सामाजिक (सोशल) स्थिति से जुड़ा होता है। मानसिक स्वास्थ्य से व्यक्ति के सोचने, समझने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसका असर व्यक्ति के तनाव को संभालने और जीवन से जुड़े जरूरी विकल्प के चयन पर भी पड़ सकता है। मानसिक स्वास्थ्य जीवन के प्रत्येक चरण अर्थात बचपन, किशोरावस्था, वयस्कता और बुढ़ापे सभी अवस्थाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का एहसास होता है। इस स्थिति में व्यक्ति दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से बातचीत कर सकता है। साथ ही तनाव की समस्या से निपटने की क्षमता भी रखता है।
मानसिक स्वास्थ्य क्यों महत्वपूर्ण है?
मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि इसके बिना जीवन के सभी कार्य प्रभावित होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य का उद्देश्य यानी मेंटल हेल्थ किन कामों में सहायक भूमिका निभाता है, यह आगे जानिए :
* तनाव से जूझने
* शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने
* लोगों से अच्छे संबंध बनाए रखने
* सामाजिक कार्य में योगदान देने
* प्रोडक्टीव काम करने के लिए
* अपनी क्षमता को जानने में
सामान्य मानसिक स्वास्थ्य विकार
वैसे तो मानसिक स्वास्थ्य विकार कई प्रकार के होते हैं। इनमें से कुछ सामान्य मानसिक स्वास्थ्य के प्रकार में ये शामिल हैं:
चिंता (एंग्जायटी) – मानसिक स्वास्थ्य संबंधी एक विकार चिंता भी है। चिंता के कारण वास्तविक या काल्पनिक स्थितियों में अत्यधिक चिंता या भय उत्पन्न हो सकता है
अवसाद (डिप्रेशन) – यह मानसिक समस्या सामान्य उदासी या दुख से अलग होती है। इसमें व्यक्ति को काफी दुख, क्रोध, निराश या फ्रस्टेशन हो सकती है।
बाइपोलर डिसऑर्डर – बाइपोलर विकार को पहले मैनिक डिप्रेशन कहा जाता था। इस समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को बारी-बारी से मेनिया (असामान्य रूप से भावनाओं को प्रकट करना) और अवसाद होता है।
ईटिंग डिसऑर्डर– यह विकार भोजन और शरीर की छवि से संबंधित जुनूनी व्यवहार होता है। इस समस्या में व्यक्ति बहुत कम खाता है या फिर जरूरत से ज्यादा खाने लगता है।
पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर– मानसिक स्वास्थ्य संबंधी यह विकार ऐसी घटनाओं के बाद उत्पन्न होता है, जिसकी कभी आशा न की गई हो। इसमें किसी तरह की लड़ाई , किसी अपने की मृत्यु या गंभीर दुर्घटना शामिल है। इस समस्या की चपेट में आने वाला व्यक्ति तनाव और डर महसूस करता है।
सिजोफ्रेनिया और सायकोटिक विकार – यह एक गंभीर मानसिक रोग है। इसमें लोग ऐसी चीजों को देखने, सुनने और विश्वास करने लगते हैं, जो वास्तविक में हैं ही नहीं।
अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) – यह बच्चों में पाए जाने वाले सबसे आम मानसिक विकारों में से एक है। इस समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को अपने व्यवहार को नियंत्रित रखने में परेशानी होती है।
एडिक्टिव डिसऑर्डर – इस मानसिक समस्या के अंतर्गत व्यक्ति को शराब या ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों की लत लग सकती है। इस लत के कारण व्यक्ति की जान को भी जोखिम हो जाता है।
पर्सनालिटी डिसऑर्डर – इस स्थिति में व्यक्ति की पर्सनालिटी यानी बिहेवियर में पूरी तरह बदलाव हो जाता है। इससे व्यक्ति के सोचने-समझने, खाने-पीने और सोने के समय में भी बदलाव होता है, जिसका असर व्यक्ति के रिश्तों पर भी पड़ सकता है। इससे व्यक्ति को तनाव होना भी काफी आम हो जाता हैm
बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण
यदि किसी को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या होती है, तो उनमें इसके लक्षण पहले ही दिखाई देना शुरू हो जाते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण कुछ इस तरह के हो सकते हैं:
*.खाने या सोने की आदतों में बदलाव।
* पसंदीद लोगों और गतिविधियों से दूरी बनाना।
* ऊर्जा हीन या लो एनर्जी का एहसास होना
* सुन्न महसूस करना जैसे कि कुछ भी मायने नहीं रखता है।
* अजीब सा दर्द महसूस होना।
* असहाय या निराश महसूस करना।
* धूम्रपान, शराब पीना और ड्रग्स का अधिक उपयोग करना।
* कन्फ्यूज्ड होना, चीजों को भूलना और गुस्सा आना।
* ।परेशान, चिंतित या डरा हुआ महसूस करना।
* मूड स्विंग्स के कारण रिश्तों में दरार पड़ना।
* दिमाग में बार-बार उन यादों का आना, जिन्हें भूलना चाह रहे हैं।
* ऐसी आवाजें सुनना और बातों पर विश्वास करना जो सच नहीं हैं।
* खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने की सोच
* दैनिक कार्य को ठीक से न कर पाना
मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के कारण और जोखिम कारक
वैसे तो मानसिक बीमारी के कारण स्पष्ट नहीं हैं। हां, कुछ कारक मानसिक बीमारी के जोखिम उत्पन्न कर सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक में ये शामिल हैं:
* परिवार में पहले किसी को मानसिक समस्या होना
* तनाव और बचपन में हुए दुर्व्यवहार के कारण
* मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन (केमिकल इम्बेलेंस)
* मस्तिष्क की चोट (ब्रेन इंजरी)
* गर्भावस्था के दौरान वायरस और जहरीले रसायनों के संपर्क में आना
* शराब और ड्रग्स का उपयोग
* कैंसर जैसी गंभीर समस्या होना।
* अकेलापन महसूस होना
मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बनाए रखें
मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कई तरीकों को आजमाया जा सकता है। उन तरीकों के बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं।
1. व्यायाम (एक्सरसाइज) – मानसिक स्वास्थ्य के उपाय के तौर पर व्यायाम कर सकते हैं। दरअसल, व्यायाम के दौरान होने वाली शारीरिक गतिविधि से तनाव और अवसाद कम होता है। साथ ही यह मूड में सुधार करने का भी काम कर सकता है। इसलिए, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम करना जरूरी है।
2. मेडिटेशन – यह मन और शरीर का अभ्यास होता है, जिसे ध्यान केंद्रित करने के लिए किया जाता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। मेडिटेशन के कई तरीके होते हैं, जिसे दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है। इनमें माइंडफुलनेस मेडिटेशन और ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन भी शामिल हैं। ये दोनों ध्यान करने की तकनीक हैं, जिनके माध्यम से मन को शांत रखा जा सकता है।
3. रिलैक्सेशन तकनीक – रिलैक्सेशन एक्सरसाइज के माध्यम से पूरे शरीर को आराम दिया जा सकता है। इस तकनीक के मदद से रक्तचाप और मांसपेशियों में तनाव व मानसिक तनाव को कम करने में सहायता मिल सकती है। इससे मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर हो सकता है।
4. लिखना (राइटिंग) – कई सारी चीजों को दिमाग में रखने से टेंशन हो सकती है। इससे मानसिक स्वास्थ्य धीरे-धीरे बिगड़ते जाता है। ऐसे में लेखन की मदद से चीजों को दिमाग से निकालने से मन को हल्का महसूस हो सकता है। इससे मूड बेहतर करने में भी सहायता मिल सकती है।
5. टाइम मैनेजमेंट स्ट्रेटेजीज – एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित वैज्ञानिक परीक्षण में मानसिक स्वास्थ्य के लिए टाइम मैनेजमेंट ट्रेनिंग को प्रभावी बताया गया है। टाइम मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी चिंता, अवसाद, नींद की गुणवत्ता में सुधार करने के साथ ही नकारात्मक भावनाओं से बचाने का काम कर सकता है। इस ट्रेनिंग के दौरान यह खास ध्यान दिया जाता है कि व्यक्ति का ध्यान परेशान करने वाली बातों में न जाए और उसका दिमाग किसी-न-किसी कार्य में व्यस्त रहे।
6. अरोमाथेरेपी – अरोमाथेरेपी की मदद से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। इस बात की पुष्टि के लिए हुए वैज्ञानिक रिसर्च में दिया है कि लैवेंडर का तेल कई न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क से संबंधित) विकारों के उपचार में प्रभावी औषधि का काम करता है। इससे चिंता, तनाव और अवसाद सभी को कम किया जा सकता है।
7. कैनाबिडियोल ऑयल –
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित रिसर्च पेपर से मिली जानकारी के अनुसार, कैनाबिडियोल ऑयल के इस्तेमाल से चिंता की समस्या कम हो सकती है। साथ ही इस तेल के उपयोग से नींद की गुणवत्ता में भी सुधार हो सकता है। इसी वजह से माना जाता है कि मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में यह तेल अच्छी भूमिका निभाता है।
8. हर्बल टी (कैमोमाइल टी) – मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए कैमोमाइल को लेकर कई शोध किए गए है। उन परीक्षणों से पता चलता है कि कैमोमाइल टी में एंटी-डिप्रेसेंट और एंटी एंग्जायटी प्रभाव होते हैं। इन दोनों गतिविधियों के कारण अवसाद और चिंता की समस्या दूर रहती है और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है।
9. ओमेगा -3 फैटी एसिड – ओमेगा -3 फैटी एसिड मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है। इस बात को प्रमाणित करने के लिए किए गए अध्ययन में दिया हुआ है कि ओमेगा -3 फैटी एसिड अवसाद और सिजोफ्रेनिया की समस्या को कम करने का काम कर सकता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य को लाभ मिलता है।
10. माका रूट – माका रूट का उपयोग भी मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए किया जा सकता है। वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, माका रूट में एंटी-डिप्रेसेंट गतिविधि होती है। इसके कारण अवसाद से राहत मिल सकती है। साथ ही मूड को बेहतर और चिंता को कम करने में भी यह प्रभावी हो सकता है (13)।
11. वेलेरियन – वेलेरियन एक तरह का औषधीय पौधा है, जिसे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, नींद ठीक तरह से पूरी न होने से मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। ऐसे में वेलेरियन नींद का समय और गुणवत्ता में सुधार करने का काम कर सकता है। इसी वजह से वेलेरियन को मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है।
12. दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताना – मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में दोस्तों और परिवार के सदस्यों की भी अहम भूमिका होती है। सोशल सपोर्ट और लोगों से मजबूत रिश्ता होने पर इंसान अपने मन की सारी बातें खुलकर एक दूसरे से एक कर सकता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रह सकता है। साथ ही तनाव, चिंता जैसे मानसिक विकार दूर रहते हैं।
13. पेट्स के साथ समय बिताना – मानसिक स्वास्थ्य के लिए पेट्स थेरेपी को भी आजमाया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, पेट्स मूड को अच्छा करने का काम कर सकते हैं। इससे व्यक्ति को सकारात्मक तरीके से सोचने में भी मदद मिल सकती है।
अन्य मानसिक स्वास्थ्य इलाज
मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए कुछ इलाज का भी सहारा लिया जा सकता है, जिसमें ये शामिल हैं:
1. मनोचिकित्सा (Psychotherapy) – मानसिक स्वास्थ्य के इलाज के लिए मनोचिकित्सक की मदद लेना एक अच्छा उपाय है। मनोचिकित्सक के द्वारा दी जाने वाली थरेपी से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। इस बात की जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित मेडिकल रिसर्च में भी दी हुई है। व्यक्ति की स्थिति के हिसाब से मनोचिकित्सक इन थेरेपी को अपना सकते हैं:
कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी – इस थेरेपी में व्यक्ति के बर्ताव और भावनाओं को समझा जाता है और उसी के अनुसार समस्या का समाधान किया जाता है।
सिस्टमिक थेरेपी – इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर एक सिस्टम तैयार करता है, जिसमें रोगी के परिवार के लोगों को शामिल किया जाता है। उसके बाद किसी स्थिति या फिर धारणाओं के बारे में उन्हें चर्चा करने के लिए कहा जाता है। इस थेरेपी से यह समझा जाता है कि सब लोग आपस में किस तरह से संवाद करते हैं। साथ ही परिवार संबंधी विवाद को भी सुलझाया जाता है।
पर्सन सेंटर्ड थेरेपी – इस थेरेपी में व्यक्ति के पर्सनल अप्रोच के आधार पर इलाज की प्रक्रिया को निर्धारित किया जाता है।
चिंता (एंग्जायटी) – इस इलाज की प्रक्रिया के दौरान ब्रेन केमिस्ट्री में बदलाव किया जाता, जिससे कि अवसाद और सायकोटिक लक्षण में सुधार होता है। यह प्रक्रिया गंभीर अवसाद से गुजर रहे लोगों को ही कराने की सलाह दी जाती है।
ट्रांसक्रेनियल मेग्नेटिक स्टिम्युलेशन– इस थेरेपी के माध्यम से मस्तिष्क के नर्व सेल्स को उत्तेजित किया जाता है, जिससे अवसाद के लक्षण कम हो सकते हैं।
2. मेडिकेशन (दवाइयां) – मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए कई दवाइयों का भी उपयोग किया जा सकता है। डॉक्टर व्यक्ति की परेशानी को समझकर उसे दवा बताते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य का निदान
मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए डॉक्टर कई तरह के टेस्ट कर सकते हैं। इन परीक्षणों में ये शामिल हैं:
व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री – मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए डॉक्टर पहले मरीज की मेडिकल हिस्ट्री यानी पुरानी बीमारियों और उसके द्वारा ली जा रही दवाओं की जानकारी लेते हैं।
शारीरिक परीक्षण और लैब टेस्ट – मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानने के बाद अगर विशेषज्ञ को लगेगा कि किसी बीमारी के कारण मानसिक समस्या हो रही है, तो डॉक्टर शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। उसके बाद जरूरी लैब टेस्ट का सुझाव देते हैं।
मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन (साइकोलॉजिकल इवेलुएशन) – इस निदान के दौरान विशेषज्ञ व्यक्ति से उसकी सोच, भावनाओं और व्यवहार से जुड़े सवाल करते हैं। फिर उन सवालों के जवाब के आधार पर इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि व्यक्ति मानसिक समस्या से जूझ रहा है या नहीं।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए आहार
मानसिक स्वास्थ्य पर खानपान का काफी असर पड़ता है। यही वजह है कि मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने और इससे जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए सही आहार खाना और गलत खानपान से परहेज करना जरूरी है। इन आहार के बारे में हम नीचे दो भाग में जानकारी दे रहे हैं।
क्या खाना चाहिए
* ओमेगा -3 फैटी एसिड से समृद्ध खाद्य पदार्थ, जैसे – मछली और मांस।
* अमीनो एसिड, मिनरल्स और बी विटामिन्स से भरपूर खाद्य पदार्थ को आहार में शामिल करें। जैसे कि साबुत अनाज, अंडा, दही, बीन्स, हरी पत्ते वाली
* सब्जियां और मकई।
* सभी तरह के फल।
फोलिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए केल (Kale), बीन्स और फलियां जैसे सब्जियां आदि का सेवन कर सकते हैं।
* मस्तिष्क स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए फलियां, पत्तेदार सब्जी, जैतून का तेल (मोनोअनसैचुरेटेड फैट), दही, नट्स का सेवन करना भी अच्छा माना जाता है।
क्या नहीं खाना चाहिए
* फास्ट फूड के सेवन से बचना चाहिए।
*.अधिक तले हुए और मसालेदार खाद्य पदार्थ का सेवन न करें।
* शराब और सिगरेट न पिएं।
* मिठाई, कुकीज, स्नैक्स से परहेज करें।
मदद के लिए पहुंचने के तरीके
आपको मानसिक बीमारी से जुड़े कलंक के बारे में निर्णय लेने या चिंतित होने का डर हो सकता है। या शायद आपको नहीं लगता कि कोई और यह समझता है कि आप क्या कर रहे हैं। यदि आप या आपके प्रियजन मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो यह जानना चुनौतीपूर्ण हो सकता है कि मदद के लिए कहां जाएं। चाहे कुछ भी हो, यह महत्वपूर्ण है कि चुपचाप कष्ट न उठाया जाए। मदद तक पहुंचने के कुछ तरीके यहां दिए गए हैं:
* अन्य व्यक्तियों, मित्रों और परिवार से जुड़ें
* मानसिक स्वास्थ्य के बारे में और जानें
*.मानसिक स्वास्थ्य का आकलन करें
* किसी पेशेवर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बात करें (मानसिक स्वास्थ्य प्रबंधन समूह)
मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहे, तो ही व्यक्ति अपने सभी कार्य अच्छे तरीके से कर पाता है। इसी वजह से शारीरिक स्वास्थ्य की तरह ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी गौर करना जरूरी है। इसमें बताए गए टिप्स मदद कर सकते हैं। साथ ही मेंटल हेल्थ बेहतर बनाने के लिए सही आहार को डाइट में जगह दें, जिनका जिक्र लेख में किया गया है। इन सबके अलावा, योग और व्यायाम को भी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। इससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या से बचे रहने में मदद मिल सकती है।
डिस्क्लेमर- यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं है। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में योग्य चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
[URIS id=9218]