• Please enable News ticker from the theme option Panel to display Post

🙏 Good morning 🌄 😀 : राष्ट्रिय युवा दिवस : उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए’

🙏 Good morning 🌄 😀 : राष्ट्रिय युवा दिवस : उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए’

उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए’ का संदेश देने वाले युवाओं के प्रेरणास्रोत, समाज सुधारक युवा युग-पुरुष ‘स्वामी विवेकानंद’ का आज जन्मदिन है. 12 जनवरी 1863 को उनका जन्म कलकत्ता में हुआ था. हर साल इसी दिन (12 जनवरी) को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में मनाया जाता है. स्वामी विवेकानंद अपने ओजपूर्ण और बेबाक भाषणों के कारण काफी लोकप्रिय हुए, खासकर युवाओं के बीच. यही कारण है कि उनके जन्मदिन को पूरा राष्ट्र ‘युवा दिवस’ के रूप में मनाता है. स्वामी विवेकानंद का नाम इतिहास में एक ऐसे विद्वान के रूप में दर्ज है, अपना सर्वोपरि धर्म माना. स्वामी विवेकानंद का रोम रोम राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत था. स्वामी जी मानवता की सेवा एवं परोपकार को ही भगवान की सच्ची पूजा मानते थे. स्वामी विवेकानंद को यु्वाओं से बड़ी उम्मीदें थीं. उन्होंने युवाओं को धैर्य, व्यवहारों में शुद्ध‍ता रखने, आपस में न लड़ने, पक्षपात न करने और हमेशा संघर्षरत रहने का संदेश दिया. आज भी वे कई युवाओं के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बने हुए हैं. आज भी स्वामी विवेकानंद को उनके विचारों और आदर्शों के कारण जाना जाता है।

राष्ट्रीय युवा दिवस, जिसे विवेकानंद जयंती के रूप में भी जाना जाता है , 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है । 1984 में भारत सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया और 1985 से यह आयोजन हर साल भारत में मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा दिवस भारत के उन युवाओं व नौजवानों को समर्पित एक खास दिन है, जो देश के भविष्य को बेहतर और स्वस्थ बनाने का क्षमता रखते हैं। भारतीय युवा दिवस को 12 जनवरी को मनाने की एक खास वजह है। इस दिन स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था। स्वामी विवेकानंद की जयंती को देश के युवाओं के नाम पर समर्पित करते हुए हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।सवाल है कि स्वामी विवेकानंद का युवाओं से क्या नाता है, जिसके कारण उनके जन्मदिन को युवा दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। विवेकानंद जयंती को कब से राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की गई? आखिर स्वामी विवेकानंद कौन हैं और उनका देश की उन्नति में क्या योगदान है? जानिए स्वामी विवेकानंद के बारे में सबकुछ और उनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाने की वजह व इतिहास के बारे में।

कौन थे स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। वह वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। छोटी उम्र से ही उन्हें अध्यात्म में रुचि हो गई थी। पढ़ाई में अच्छे होने के बावजूद जब वह 25 साल के हुए तो अपने गुरु से प्रभावित होकर नरेंद्रनाथ ने सांसारिक मोह माया त्याग दी और संयासी बन गए। संन्यास लेने के बाद उनका नाम विवेकानंद पड़ा। 1881 में विवेकानंद की मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से हुई।

राष्ट्रीय युवा दिवस
भारत में प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को युवाओं के प्रेरणास्रोत और महापुरुष स्वामी विवेकानंद की स्मृति में उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है, 2024 में हम 39वां युवा दिवस (नेशनल यूथ डे) और विवेकानंद जी की इस वर्ष 161वीं जयंती मना रहे है।

राष्ट्रिय युवा दिवस की जानकारी
नाम राष्ट्रीय युवा दिवस (Rashtriya Yuva Diwas)
तिथि : 12 जनवरी (वार्षिक)
पहली बार : 12 जनवरी 1985
2024 की थीम : ‘इट्स ऑल इन द माइंड’ जिसका हिंदी में अर्थ हैं ‘सब कुछ आपके दिमाग में है’।
उद्देश्य : युवाओं को ऊर्जावान बनाना, उन्हें सद्बुद्धि और सही मार्ग पर अग्रसर करना है।
सम्बंधित व्यक्ति : स्वामी विवेकानंद

27वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन कहाँ किया जाएगा?
वर्ष 1995 से ही युवा दिवस के मौके पर ‘राष्ट्रीय युवा महोत्सव‘ कार्यक्रम तथा 12 जनवरी से 19 जनवरी तक ‘राष्ट्रीय युवा सप्ताह‘ कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस बार भारत का 27वां नेशनल यूथ फेस्टिवल 12 से 16 जनवरी 2024 तक मनाया जायेगा। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी महाराष्ट्र के नासिक में 27वें राष्ट्रीय युवा महोत्‍सव का उद्घाटन करेंगे। वे राष्‍ट्र के युवाओं को संबोधित भी करेंगे। इस वर्ष अनेक सरकारी विभागों के सहयोग से जिलों में युवा कार्य विभाग के सभी क्षेत्रीय संगठन राष्ट्रीय युवा दिवस मनाएंगे। देश के प्रमुख शहरों और सात सौ पचास जिला मुख्यालयों में सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस वर्ष राष्‍ट्रीय युवा महोत्‍सव का विषय है2047 तक मेरा भारत विकसित भारत युवाओं द्वारा, युवाओं के लिए“। समारोह के दौरान विभिन्‍न राज्‍यों में सास्‍कृतिक कार्यक्रमों के दौरान विविध सांस्‍कृतिक विरासत को दर्शाया जाएगा।

राष्ट्रीय युवा दिवस महोत्सव का आयोजन कौन करता है?
राष्ट्रीय युवा दिवस भारत में केवल एक दिन का अवसर नहीं है। बल्कि यह एक सप्ताह तक चलने वाला उत्सव है। यह भारत सरकार, युवा मामले और खेल मंत्रालय और राज्य सरकारों द्वारा आयोजित किया जाता है।

राष्ट्रीय युवा दिवस 2024 की थीम
राष्ट्रीय युवा दिवस (National youth Day) हर साल एक अलग थीम के साथ मनाया जाता हैं. इस साल राष्ट्रीय युवा दिनस की थीम, इट्स ऑल इन द माइंड जिसका हिंदी में अर्थ हैं सब कुछ आपके दिमाग में हैं. नेशनल यूथ डे के मौके पर पर्यटन मंत्रालय व रामाकृष्ण मठ, रामाकृष्ण मिशन द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते है. इसके अलावा स्कूल व कॉलेजों में भी कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन होता है. स्वामी विवेकानंद पर भाषण प्रतियोगिता, गीत, निबंध लेखन आदि का आयोजन किया जाता है. विवेकानंद भारतीय रहस्यवादी, रामकृष्ण के प्रबल अनुयायी थे, और मन को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण मानते थे। यहां पिछले कुछ वर्षों के राष्ट्रीय युवा दिवस की थीम दी निचे दी गई है:
*  साल 2023 की थीम “अभी तय की जानी बाकी” थी।
* साल 2022 की थीम ‘सक्षम युवा, सशक्त युवा’ रखी गई थी।
*  साल 2021 की Theme ‘युवा – उत्साह नए भारत का’ थी।
*  2020 की थीम ‘वैश्विक कार्य के लिए युवाओं की भागीदारी’ थी।
*  वर्ष 2019 की Theme राष्ट्र निर्माण में युवा शक्ति का इस्तेमाल थी।
*  2018 का विषय ‘संकल्प से सिद्धि’ था।
*  21वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव (2017) का विषय- ‘डिजिटल इंडिया के लिए युवा’ था।
*  2016 की थीम “विकास, कौशल और सद्भाव के लिए भारतीय युवा” है।

राष्ट्रीय युवा दिवस की शुरूआत का इतिहास?
स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। वह एक दार्शनिक, कार्यकर्ता, समाज सुधारक और विचारक थे। रामकृष्ण के अनुयायी होने के नाते, उन्होंने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। यह एक धार्मिक हिंदू संगठन है जो रुचि रखने वाले लोगों को आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करता है। 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की बर्थ एनीवर्सरी को नेशनल यूथ डे के रूप में मनाने का फैसला भारत की केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1984 में लिया गया, जिसके बाद 12 जनवरी 1985 को पहला युवा दिवस मनाया गया। यूथ डे के मौके पर विवेकानंद जी को श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया जाता है, उनके विचार आज भी करोड़ों युवाओं के आदर्श और प्रेरणा स्रोत है। यह दिन स्वामी जी के महान विचारों एवं आदर्शों का प्रचार-प्रसार करने और इन्हें अपने जीवन में लागू करने का एक खास और महत्वपूर्ण दिन है। यहां राष्ट्रीय युवा दिवस के इतिहास के बारे में विवरण दिया गया है:
*  भारत सरकार ने 1984 में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया।
*  नतीजतन, पहला युवा दिवस 12 जनवरी 1985 को मनाया गया।
*  भारत सरकार ने इस दिन की घोषणा करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचार और शिक्षाएं देश के युवाओं के लिए फायदेमंद हो सकती हैं।
*  आपको बता दें कि वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को मनाया जाता है।

क्यों मनाया जाता नेशनल यूथ डे?
युवा दिवस देश के युवाओं को समर्पित एक ऐसा दिन है जो देश की उन्नति और विकास में योगदान तथा उनकी भागीदारी को दर्शाता है। इसके आलावा यह युवाओं को जागृत करने और प्रेरणा से भर देने वाला दिन है। इसलिए हर साल राष्ट्रीय स्तर पर 12 जनवरी को और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 12 अगस्त को युवा दिवस मनाया जाता है। यूथ डे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य युवाओं को ऊर्जावान बनाना और उन्हें सद्बुद्धि और सही मार्ग पर अग्रसर करना है। स्वामी विवेकानंद जी ने हमेशा से ही युवाओं को देश की ताकत और इसका भविष्य बताया है। वे अपनी आशाओं को युवा वर्ग पर टिका मानते थे। यह दिन युवाओं के अंदर ऊर्जा जागृत करता है और आने वाली पीढ़ी और भविष्य को प्रेरित कर देश को विकास की ओर ले जाने के लिए अग्रसर करता है। स्वामी विवेकानंद के विचारों और दर्शन का प्रसार करना है कि वे कैसे रहते थे, कैसे उपदेश देते थे और कैसे काम करते थे। पूरे देश में स्कूलों, विश्वविद्यालयों आदि में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।इतने बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का लक्ष्य युवाओं को प्रेरित करना, देश के लिए बेहतर भविष्य बनाना और स्वामी विवेकानंद की विचारधारा का प्रसार करना है। राष्ट्रीय युवा दिवस को युवा दिवस के नाम से भी जाना जाता है। स्वामी विवेकानंद की जीवन शैली और विचारों से युवाओं को प्रेरित कर देश को बेहतर भविष्य देना सरकार का मुख्य लक्ष्य है।

राष्ट्रीय युवा दिवस समारोह कैसे मनाया जाता है?
राष्ट्रीय युवा दिवस या युवा दिवस, जो स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन है, हर साल कई रामकृष्ण मिशन केंद्रों और इसकी शाखाओं में भारतीय संस्कृति और परंपराओं के अनुसार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा महोत्सव हर साल 12 से 16 जनवरी तक मनाया जाता है, आइए जानते हैं कैसे
*  समारोह के दौरान महान मंगल आरती, प्रार्थना गीत, ध्यान, धार्मिक भाषण, संध्या आरती, आदि होते हैं।
*  यह विभिन्न स्कूलों और विश्वविद्यालयों में स्वामी विवेकानंद के बारे में परेड, भाषण, वाचन, गीत, सम्मेलन, निबंध लेखन प्रतियोगिता, सेमिनार और बहुत कुछ आयोजित करके भी मनाया जाता है।
*  छात्रों को प्रेरित करने के लिए स्वामी विवेकानंद के लेखन और व्याख्यान भी छात्रों द्वारा पढ़े जाते हैं।

स्वामी विवेकानंद कौन थे
भारत के दार्शनिक, शुभचिंतक, युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत, समाज सुधारक, युवा संन्यासी और महान देशभक्त के रूप में विख्यात स्वामी विवेकानंद जी का जन्म कोलकाता के एक कायस्थ परिवार में 12 जनवरी 1863 को हुआ उनके बचपन का नाम ‘नरेंद्र नाथ दत्त‘ था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कोलकाता हाई कोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील और उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक धार्मिक विचारों वाली महिला थी।
शिक्षा : वे बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे 1871 में वे ईश्वरचंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलिटन संस्थान में पढ़ाई के लिए स्कूल गए। 1879 में वे प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल करने वाले इकलौते छात्र थे। उन्होंने ज्यादातर सभी चीजों का अध्ययन किया वह दर्शनशास्त्र, इतिहास, समाज कला, साहित्य, धर्म, वेद, धार्मिक पुस्तकें (जैसे श्रीभगवद गीता, रामायण, महाभारत) तथा हिंदू शास्त्रों को भी पढ़ा। वह भारतीय शास्त्रीय संगीत, खेल कूद और व्यायाम, योग में भी काफ़ी आगे थे, उन्होंने 1881 में ललित कला की परीक्षा पास कर 1884 में आर्ट्स से ग्रेजुएशन के डिग्री पूरी की।
सन्यासी जीवन: विवेकानंद जी वर्ष 1881 में गुरू रामकृष्ण परमहंस से कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली माता मंदिर में मिले, जिसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन ‘गुरूदेव रामकृष्ण परमहंस‘ को समर्पित कर दिया जिसके परिणामस्वरूप वे गुरु सेवा और गुरु भक्ति के लिए पूरे संसार में जाने गए। नरेंद्र नाथ दत्त (विवेकानंद) ने अपनी 25 वर्ष की आयु में ही अपना घर-बार छोड़ सन्यास ले लिया और गेरुआ वस्त्र धारण किया, सन्यास लेने के बाद ही नरेंद्र नाथ दत्त ‘स्वामी विवेकानंद‘ कहलाए। उन्होंने 9 दिसंबर 1898 को कलकत्ता के पास बेलूर में गंगा तट पर अपने गुरू/शिक्षक रामकृष्ण को समर्पित ‘रामकृष्ण मठ‘ की स्थापना की।
वेदान् : यह उपनिषदों और उनकी व्याख्या पर आधारित था।  इसका उद्देश्य ‘ब्राह्मण’ (परम वास्तविकता) के बारे में पूछताछ करना था जो उपनिषदों  की केंद्रीय अवधारणा थी। उन्होंने वेद को सूचना के अंतिम स्रोत के रूप में देखा और जिसके अधिकार पर सवाल नहीं उठाया जा सकता था। उन्होंने बलिदान (कर्म) के विपरीत ज्ञान (ज्ञान) के मार्ग पर जोर दिया। ज्ञान का अंतिम उद्देश्य ‘मोक्ष’ यानि  ‘संसार’ से मुक्ति था।  उन्होंने 1987 में अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। संस्था ने भारत में व्यापक शैक्षिक और परोपकारी कार्य किए। उन्होंने 1893 में शिकागो (अमेरिका) में आयोजित पहली धर्म संसद में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया।

स्वामी विवेकानंद के दर्शन के मूल मूल्य
नीति – व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक जीवन दोनों में नैतिकता ज्यादातर सामाजिक निंदा के डर पर आधारित है।
* लेकिन विवेकानंद ने आत्मा की आंतरिक शुद्धता और एकता पर आधारित नैतिकता का एक नया सिद्धांत और नैतिकता का नया सिद्धांत दिया।
* विवेकानंद के अनुसार नैतिकता एक आचार संहिता के अलावा और कुछ नहीं थी जो एक आदमी को एक अच्छा नागरिक बनने में मदद करती है।
* हमें शुद्ध होना चाहिए क्योंकि पवित्रता ही हमारा वास्तविक स्वरूप है, हमारी सच्ची दिव्य आत्मा या आत्मा है।
* इसी तरह, हमें अपने पड़ोसियों से प्यार और सेवा करनी चाहिए क्योंकि हम सभी परमात्मा या ब्रह्म के नाम से जाने जाने वाले सर्वोच्च आत्मा में एक हैं।
धर्म – आधुनिक दुनिया में स्वामी विवेकानंद के सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक है धर्म की उनकी व्याख्या, पारलौकिक वास्तविकता के एक सार्वभौमिक अनुभव के रूप में, जो सभी मानवता के लिए सामान्य है।
* यह सार्वभौमिक अवधारणा धर्म को अंधविश्वास, हठधर्मिता, पुजारी शिल्प और असहिष्णुता की पकड़ से मुक्त करती है।
* उनका मानना ​​​​था कि प्रत्येक धर्म शाश्वत सर्वोच्च – सर्वोच्च स्वतंत्रता, सर्वोच्च ज्ञान, सर्वोच्च सुख का मार्ग प्रदान करता है।
* यह PARAMATMA के हिस्से के रूप में किसी के आत्मा को महसूस करके पूरा किया जा सकता है।
शिक्षा – स्वामी विवेकानंद ने हमारी मातृभूमि के उत्थान के लिए शिक्षा पर सबसे अधिक जोर दिया।
* उनके अनुसार, एक राष्ट्र उसी अनुपात में उन्नत होता है जिस अनुपात में शिक्षा जनता के बीच फैलती है।
* उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा की प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए कि यह छात्रों को उनके सहज ज्ञान और शक्ति को प्रकट करने में मदद करे।
* उन्होंने मानव-निर्माण चरित्र-निर्माण शिक्षा की वकालत की।
* उन्होंने कहा कि शिक्षा को छात्रों को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए और उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करनी चाहिए। वह तथाकथित शिक्षितों के अत्यधिक आलोचक थे जो गरीबों और दलितों की परवाह नहीं करते हैं।
चेतना – वह आधुनिक विज्ञान की विधियों और परिणामों से पूर्णतः सहमत थे।
* उन्होंने विश्वास के पक्ष में तर्क को नहीं छोड़ा।
* उन्होंने अंतर्ज्ञान या प्रेरणा को तर्क से उच्च संकाय के रूप में मान्यता दी। लेकिन अंतर्ज्ञान से प्राप्त सत्य को तर्क द्वारा समझाया और व्यवस्थित किया जाना था।
राष्ट्रवाद – हालांकि राष्ट्रवाद के विकास का श्रेय पश्चिमी प्रभाव को जाता है लेकिन स्वामी विवेकानंद का राष्ट्रवाद भारतीय आध्यात्मिकता और नैतिकता में गहराई से निहित है।
* उनका राष्ट्रवाद मानवतावाद और सार्वभौमिकता पर आधारित है, जो भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति की दो प्रमुख विशेषताएं हैं।
* पश्चिमी राष्ट्रवाद के विपरीत, जो प्रकृति में धर्मनिरपेक्ष है, स्वामी विवेकानंद का राष्ट्रवाद धर्म पर आधारित है जो भारतीय लोगों का जीवन रक्त है।
उनके राष्ट्रवाद के आधार हैं:
* जनता, स्वतंत्रता और समानता के लिए गहरी चिंता जिसके माध्यम से कोई भी स्वयं को व्यक्त करता है, सार्वभौमिक भाईचारे के आधार पर दुनिया का आध्यात्मिक एकीकरण।
* “कर्मयोग” निःस्वार्थ सेवा के माध्यम से राजनीतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए नैतिकता की एक प्रणाली है।
* उनके लेखन और भाषणों ने मातृभूमि को देशवासियों के मन और दिल में पूजे जाने वाले एकमात्र देवता के रूप में स्थापित किया।
युवा – स्वामी जी का मानना ​​था कि अगर हमारे युवा ठान लें तो उनके लिए दुनिया में कुछ भी हासिल करना असंभव नहीं है।
* उन्होंने युवाओं से सफलता प्राप्त करने के लिए समर्पण करने का आग्रह किया। हमारे युवाओं के लिए अत्यंत समर्पण के साथ चुनौती का पीछा करना वास्तव में सफलता का मार्ग है।
* इसलिए स्वामीजी ने युवाओं से न केवल अपनी मानसिक बल्कि शारीरिक ऊर्जा को भी बढ़ाने का आह्वान किया। वह ‘लोहे की मांसपेशियां’ के साथ-साथ ‘इस्पात की नसें’ भी चाहता था।
* 12 जनवरी को उनका जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है और उस दिन से शुरू होने वाले सप्ताह को राष्ट्रीय युवा सप्ताह के रूप में जाना जाता है।
* राष्ट्रीय युवा सप्ताह समारोह के हिस्से के रूप में, भारत सरकार हर साल राष्ट्रीय युवा महोत्सव आयोजित करती है।
* युवा उत्सव का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता की अवधारणा, सांप्रदायिक सद्भाव की भावना, भाईचारे, साहस और साहस को युवाओं के बीच एक साझा मंच पर अपनी सांस्कृतिक शक्ति का प्रदर्शन करके प्रचारित करना है।

विश्व धर्म परिषद में प्रतिनिधित्व
स्वामी विवेकानंद जी ने संयास लेने के बाद पूरे भारत वर्ष का पद भ्रमण (पैदल यात्रा) किया, उन्होंने 31 मई 1893 को विश्व यात्रा शुरू की जिसमें वह जापान का दौरा करते हुए चाइना और कनाडा से होकर अमेरिका के ‘शिकागो‘ शहर पहुंचे। जिस समय स्वामी विवेकानंद जी भारत का प्रतिनिधित्व करने शिकागो पहुँचे, उस समय भारत के गुलाम होने के कारण भारतीय लोगों को काफी निम्न दृष्टि से देखा जाता था। लेकिन जब उन्होंने विश्व धर्म परिषद् में अपने भाषण की शुरुआत अमेरिका के भाइयों और बहनों कहकर की तो तालियों की गूंज काफी देर तक रही और उनके विचारों से परिषद् में बैठे विद्वान काफी प्रभावित हुए, और वहाँ के लोग भी उनके के फैन बन गए।

स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायक सुविचार
स्वामी विवेकानंद ने ‘उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए’, जैसे प्रेरणादायक विचारों को युवाओं के जहन में उतारा। वे भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में शामिल लोगों के लिए प्रमुख प्रेरणास्रोत थे।
*  सबसे बड़ा पाप यह सोचना है कि आप कमजोर हैं।
*  अपने आप में विश्वास रखो सारी शक्ति तुम में है, सांप का जहर भी शक्तिहीन होता है यदि आप इसे मजबूती से नकार सकते हैं।
*  दिन में एक बार खुद से बात करें अन्यथा आप इस दुनिया में एक उत्कृष्ट व्यक्ति से मिलने से चूक सकते हैं
*  जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
*  विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
*  सत्य को हजार तारिकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।

विवेकानंद का दर्शनशास्र
*  उनका दर्शन मन को नियंत्रित करने पर बहुत जोर देता है।
*  उनका दर्शन है कि नैतिकता स्वाभाविक रूप से जुड़ी हुई है कि आप अपने मन को कितनी अच्छी तरह नियंत्रित कर सकते हैं।
*  वह सच्चाई, निस्वार्थता और पवित्रता जैसे गुणों पर ध्यान केंद्रित करता है।
*  वह अपने अनुयायियों को निस्वार्थ होने और हमेशा सच्चे कारणों के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
*  वह ब्रह्मचर्य में भी दृढ़ विश्वास रखते थे, और इसे सहनशक्ति और मानसिक कल्याण के स्रोत के रूप में जोड़ते थे।

विवेकानंद जी की उनकी पुण्यतिथि कब है?
स्वामी विवेकानंद जी को दमा और शुगर की शिकायत थी जिसके कारण उनकी मृत्यु काफी कम आयु में हो गई। उन्होंने 40 साल से कम आयु में ही 4 जुलाई 1902 को बेलूर में स्थित रामकृष्ण मठ में ध्यान मग्न अवस्था में ही महासमाधि धारण कर अपने प्राण त्याग दिए। जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार बेलूर में गंगा तट पर चन्दन की चिता पर उनके गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस के दूसरी ओर किया गया। 4 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि होती है।

स्वामी विवेकानंद 19वीं शताब्दी के थे, फिर भी उनका संदेश और उनका जीवन अतीत की तुलना में आज अधिक प्रासंगिक है और शायद भविष्य में भी अधिक प्रासंगिक होगा। स्वामी विवेकानंद जैसे व्यक्ति अपनी शारीरिक मृत्यु के साथ अस्तित्व को समाप्त नहीं करते हैं – उनका प्रभाव और उनका विचार, वह कार्य जो वे शुरू करते हैं, जैसे-जैसे वर्ष बीतते हैं, गति प्राप्त करते हैं, और अंततः, उस पूर्णता तक पहुंच जाते हैं जिसकी उन्होंने परिकल्पना की थी। स्वामी विवेकानंद ज्ञान, विश्वास, एक सच्चे दार्शनिक हैं जिनकी शिक्षाओं ने न केवल युवाओं को प्रेरित किया बल्कि देश के विकास का मार्ग प्रशस्त किया। इसीलिए भारत में हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है। भारत के युवाओं के लिए विवेकानंद जी से अच्छा कोई अन्य प्रेरणा स्रोत और नेता नहीं हो सकता ऐसे में उनकी जयंती को नेशनल यूथ डे के रूप में मनाया जाना हमारे लिए सौभाग्य और गर्व की बात है।

[URIS id=9218]

administrator

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *