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Good morning : आज ईस्टर संडे : आशा और विश्वास के साथ जीवन के प्रति नया उत्साह और उमंग का त्योहार!

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ईसाई धर्म में ईस्टर संडे का विशेष महत्व होता है। इस साल ईस्टर संडे आज 31मार्च  को मनाया जा रहा है। यह विश्व स्तर पर ईसाई समुदाय के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है. यह दिन ईसाई धर्म के ईसा मसीह के पुनरुत्थान का प्रतीक है, यह दिन उनके अनुयायियों के लिए बेहद खास होता है। ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हैं। वहीं ईस्टर संडे पर उनकी खुशी दोगुनी होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ईसाई धर्म के लोगों का मानना है कि गुड फ्राइडे को क्रूस पर उनके मृत्यु के उपरांत तीसरे दिन यानी रविवार को ईसा मसीह दोबारा जीवित हुए थे। ईसा मसीह के जीवित होने की खुशी में ईस्टर संडे का पर्व मनाया जाता है। ईसाई धर्म ग्रंथ के अनुसार पुनर्जीवित होने के बाद यानी ईस्टर संडे के बाद 40 दिन तक ईसा मसीह पृथ्वी पर रहे थे। इस दौरान उन्होंने अपने शिष्यों को प्रेम और करुणा का पाठ पढ़ाया, उसके बाद वे स्वर्ग चले गए। ऐसे में चलिए आज जानते हैं इस पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें….

भारत एक ऐसा देश है जिसमे, हर धर्म और जाति के लोग रहते है। सभी को संविधान मे, समान अधिकार प्राप्त है। हर जाति के लोग अपने, त्यौहार अपनी पद्धति से मनाते है. गुड फ्राइडे व ईस्टर क्रिश्चियन समुदाय के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है। गुड फ्राइडे शुक्रवार और ईस्टर रविवार को बनाया जाता है जो, क्रिश्चियन समाज के लिये बहुत पवित्र शुक्रवार व रविवार मे से एक है। यहां हम आपको ईस्टर की सम्पूर्ण जानकारी कुछ मुख्य बिन्दुओ के माध्यम से देंगे।

चलिए पहले जानते हैं, गुड फ्राइडे के दिन क्या हुआ था?  
प्रभु यीशु प्रेम और शांति के मसीहा थे। कहा जाता है कि दुनिया को प्रेम और करुणा का संदेश देने वाले प्रभु यीशु को धार्मिक कट्टरपंथी लोगों ने सूली पर चढ़ा दिया था। जब प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया तो उनके अनुयाई निराशा हो गए। हालांकि इसके तीन दिन बाद संडे के दिन वे जीवित हो उठे। इसके बाद उनके अनुयाइयों में खुशी की लहार दौड़ गई। तब से ईसाई धर्म में ये पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

अब जानते हैं, ईस्टर क्या है ?
ईस्टर ईसाई धर्म में सबसे महत्वपूर्ण वार्षिक धार्मिक पर्व है। ईसाई धार्मिक ग्रन्थ के अनुसार, ईसा मसीह को सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन यीशु मरे हुओं में से पुनर्जीवित हो गए थे। इस पुनरुत्थान को ईसाई समाज ईस्टर दिवस या ईस्टर रविवार के रूप में मानते हैं। इसे पुनरुत्थान दिवस या पुनरुत्थान रविवार भी कहते हैं, ये दिन गुड फ्राईडे के दो दिन बाद आता है। 0026 और 0036 ई.पू . के बीच में हुई उनकी मृत्यु और उनके जी उठने के कालक्रम को अनेकों तरीके से बताया जाता है। परंपरागत रूप से ईस्टर काल चालीस दिनों का होता है। ये ईस्टर दिवस से लेकर स्वर्गारोहण दिवस तक होता आया है। यीशु का पुनः जी उठना, जिसका जश्न ईस्टर के रूप में मनाया जाता है, यही ईसाई धर्म के विश्वास की नींव है। मृतोत्थान ने यीशु को ईश्वर के एक शक्तिशाली पुत्र के रूप में स्थापित किया और इस बात को उद्धृत करते हुए प्रमाण दिया कि ईश्वर इस सृष्टि का न्यायोचित इंसाफ करेंगे। “मृत्यु के बाद यीशु के जी उठने के द्वारा ईश्वर ने ईसाइयों को एक नए जन्म की जीती-जागती आशा दी.” ईश्वर के कार्य पर विश्वास के साथ ईसाई आध्यात्मिक रूप से यीशु के साथ ही पुनर्जीवित हुए ताकि वो जीवन को एक नए तरीके से जी सके। लेकिन सच्चाई यह है कि इस दिन परमात्मा यीशु के रूप में कब्र से बाहर आए थे, जिससे की लोगों का विश्वास परमात्मा में बना रहे। ईस्टर के तथ्य, अपने आप मे काफी रोमांचक है. जिसमे हर चीज़ का अपना ही महत्व, और उसके सम्बन्ध मे, पौराणिक कथा है। जिस तरह एक उदासी से भरा माहोल रहता है परन्तु, बसंत की बहार के साथ माहोल ख़ुशनुमा हो जाता है. उसी प्रकार शैल (खोल) यीशु की कब्र का प्रतिनिधित्व करता है लेकिन, बसंत के फूल यीशु की मृत्यु के बाद पुनः जीवन का प्रतिनिधित्व करते है। कहीं कहीं ऐसे भी मानता है कि ईस्टर का नाम पुनर्जन्म की देवी इओस्टारा से आया है। शुरुआती समय में ईस्टारा के पर्व ने पृथ्वी के पुनरुत्थान और ईशु के पुनर्जन्म का जश्न मनाया। इंग्लैंड के राजा चार्ल्स प्रथम ने 1647 में ईस्टर रविवार को धर्मग्रंथ के रूप में घोषित किया।

ईस्टर अंडे का महत्त्व
ईस्टर मे, अंडे का बहुत महत्व है क्योंकि, जिस प्रकार चिड़िया सबसे पहले, अपने घोसले मे अंडा देती है. उसके बाद उसमे से, चूजा निकलता है उसी प्रकार, यहा अंडे को एक शुभ स्मारक माना है. और ईस्टर मे, बहुत तरीके से इसका उपयोग किया जाता है. कही चित्रकारी करके, कही दुसरे रूप मे सजा कर, उपहार के रूप मे एक दूसरे को दिया जाता है. यह एक शुभ संकेत होता है जो, लोगो को देकर उनके जीवन मे, जीवन जीने के प्रति नया उत्साह और उमंग भरता है।

ईस्टर सेलिब्रेशन
ईस्टर एक बहुत बड़ा सेलिब्रेशन है. जिसमे ख़ुशी और जश्न होता है। यीशु के जी उठने का, जिसे धार्मिक रूप से, क्रिश्चियन समाज मनाता ही है. उसके अलावा एक दूसरे को गिफ्ट्स जिसमे खासकर अंडे का आकार हो, देकर अलग-अलग रूप से पार्टी करके मिठाई बना कर गीत गाकर, बधाई देकर, और भी अन्य कई तरीकों से, भिन्न-भिन्न देशों मे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

विश्व मे गुड फ्राइडे व ईस्टर सेलिब्रेशन
भारत मे ही नही बल्कि, सम्पूर्ण विश्व मे गुड फ्राइडे और ईस्टर को सेलिब्रेट किया जाता है। भारत मे भी आजादी के पूर्व, ब्रिटिश काल से यह सेलिब्रेशन चला आरहा है। यह त्यौहार जहा गुड फ्राइडे को शांति से बनाते है वही ईस्टर को उतनी ही धूम-धाम से बनाया जाता था. भारत मे मुख्य रूप से मुंबई , गोवा और पूरे भारत मे जहा भी , अधिकतर क्रिश्चियन लोग निवास करते है। यहा चर्च को विशेष रूप से, सजाया जाता है। गुड फ्राइडे व ईस्टर को बनाने वाले सभी लोग इस दिन चर्च मे जाते है, और उनके धर्म से संबंधित गीत गाते है, प्रार्थना करते है। कई जगह नृत्य और अन्य कार्यक्रम के अयोजन होते है। सभी एक दूसरे को गिफ्ट्स, फ्लावर्स, कार्ड, चोकलेट, केक देकर विश करते है। सुबह से शाम तक पार्टी चलती है ईस्टर मे जिसमे, पारंपरिक लोकप्रिय लंच-डिनर होता है। इस प्रकार अन्य देशों की तरह भारत मे भी बड़े उत्साह के साथ गुड फ्राइडे और ईस्टर का सेलिब्रेशन होता है। तथा विश्व के सभी बड़े देश जैसे- आस्ट्रेलिया, ब्राजील, इटली, इंग्लैंड, जर्मनी जैसे सभी देशों मे जहा क्रिश्चियन समाज है गुड फ्राइडे और ईस्टर को बनाते है।

ईस्टर संडे के रोचक तथ्य
*  ईसाई धर्म के अनुयायी मानते हैं कि ईस्त्र शब्द से ईस्टर शब्द की उत्पत्ति हुई है।
*  पवित्र सप्ताह ईस्टर के लिए अग्रणी सप्ताह के दौरान मनाया जाता है। यह पाम संडे से शुरू होता है, गुड फ्राइडे और फिर अंत में ईस्टर संडे आता है।
*  मध्यकालीन समय में गिरजाघर का पुजारी लड़कों को एक उबला हुआ अंडा देते थे और इसके साथ ही कोई टास्क भी देते थे, जो ये टास्क पास करता उसे अंडा खाने को मिलता।
*  ईस्टर संडे को अंडे को प्रजनन क्षमता के प्राचीन प्रतीक के रूप में देखा गया है, साथ ही वसंत ऋतु का आगमन और ईशु के पुनर्जन्म लाने के लिए माना जाता है।
*  किश्चियन ईस्टर पर नए कपड़े पहनते हैं, तो पूरे वर्ष उनको शुभकामनाएं मिलती हैं। अमेरिका के न्यू यॉर्कर सिटी में लोग नए नए कपड़े पहनकर चर्चों में जाते हैं
*  ईस्टर रविवार के दिन सभी गिरजाघरों में मोमबत्तियां जलाकर प्रभु यीशु को याद करते हैं और रात में जागरण व ईसाई धार्मिक परंपराएं निभाते हैं।
*  ईसाई मान्यता के अनुसार ईस्टर संडे को घर सजाकर रात्रि में मोमबत्तियां जलाना और अपने मित्रों में इन्हें बांटना अत्यंत शुभ माना जाता है।
*  ईसाई धर्म के अनुयायी मानते हैं कि जब प्रभु ईशु पुन: जीवित हुए तो वह अपने अनुयाइयों के साथ रहे और उन्होंने क्षमा का महत्व बताया और चालीस दिन बाद (जिसे लेंट कहा जाता है) वह स्वर्ग में चले गए।
*  अमेरिका ईस्टर संडे पर हर साल 1.9 अरब डॉलर खर्च करते हैं। हैलोवीन के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा ईस्टर कैंडी अवकाश है।
*  एक बगीचे में अंडे छिपाने वाले खरगोश (ईस्टर बनी) नाम की पहली कहानी 1680 में प्रकाशित हुई थी।

ईस्टर संडे कैसे मनाते हैं?
दुनिया भर में कई ईसाई विशेष चर्च सेवाओं, संगीत, मोमबत्ती की रोशनी, फूलों और चर्च की घंटियों के साथ ईस्टर मनाते हैं। फिलीपींस और स्पेन जैसे कुछ देशों में ईस्टर जुलूस आयोजित किए जाते हैं। कई ईसाई ईस्टर को चर्च वर्ष की सबसे बड़ी दावत के रूप में देखते हैं। ईसाई धर्म के अनुसार, यीशु मसीह को याद करने के लिए खुशी और उत्सव मनाने का दिन है। ईस्टर महान धार्मिक महत्व रखता है, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में बच्चे, नए कपड़े, अंडे सजाने और ईस्टर अंडे के शिकार में भाग लेते हैं।

यह दिन मसीह की वापसी का प्रतीक है, जिसने मानवता के पापों के लिए खुद को बलिदान कर दिया. पुनरुत्थान उसे परमेश्वर का सच्चा पुत्र साबित करता है जिसने स्वर्ग जाने से पहले बुराई और मृत्यु को हरा दिया. ईस्टर मसीह के जुनून को पूरा करने का प्रतीक है।

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