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मैत्री बाग में सफ़ेद बाघों के कुनबे में आए दो नए मेहमान, 04 महीने पहले पैदा हुए थे दोनो नर शावक, 05 जनवरी से प्राप्त होगा पहली झलक देखने का मौका

मैत्री बाग में सफ़ेद बाघों के कुनबे में आए दो नए मेहमान, 04 महीने पहले पैदा हुए थे दोनो नर शावक, 05 जनवरी से प्राप्त होगा पहली झलक देखने का मौका

भिलाई। 04 जनवरी, 2024, (सीजी संदेश) : भिलाई के मैत्री बाग में सफ़ेद बाघों के कुनबे में नए दो मेहमानों, नर शावकों का जन्म, हाल ही में 08 सितम्बर 2023 को हुआ। आम जनता को इन चंचल शावकों की पहली झलक देखने का अवसर  05 जनवरी से प्राप्त होगा| इन दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजाति राजसी सफेद बाघ और उनके नन्हें शावक अपने आकर्षक धारियों, सफेद रंग और चमकदार नीली आंखों के साथ बहुत ही प्यारे लग रहे हैं| वर्ष 2023 में, 28 अप्रेल को भी तीन शावकों का जन्म मैत्री बाग में हो चुका है| शावकों की माँ रोमा अभी 09 साल की है| माँ रोमा ने पिछले 4.5 माह से बच्चों का लालन किया है। वन्यजीव विशेषज्ञ, भिलाई मैत्री बाग प्रभारी एवं उप महाप्रबंधक (उद्यानिकी) डॉ एन के जैन ने जानकारी दी, कि जू अथॉरिटी के मार्गदर्शन अनुसार ही इन नन्हें शावकों और इनकी माँ की देखभाल की गई। मैत्री बाग प्रबंधन द्वारा लगातार बाघिन माँ रोमा को पौष्टिक आहार तथा विभिन्न प्रकार के आवश्यक विटामिन और कैल्शियम आदि भोजन के साथ दिया जा रहा है। गौरतलब है कि भिलाई मैत्री बाग सफ़ेद बाघों की सबसे अधिक संख्या के साथ भारत के शीर्ष चिड़ियाघरों में से एक बन गया है। मैत्री बाग प्रबंधन ने सेंट्रल जू अथॉरिटी के नियमानुसार, अब तक देश के 5 से भी अधिक चिडियाघरों में सफ़ेद बाघों का आदान-प्रदान किया है।
भिलाई मैत्री बाग प्रभारी एवं उप महाप्रबंधक (उद्यानिकी) डॉ एन के जैन के मार्गदर्शन में मैत्री भाग के जू-कीपर्स मुहर्रम,  मोहन और नरसैया द्वारा शावकों के जन्म से लेकर वर्तमान तक पूरी देखभाल की जा रही है। मैत्री बाग की एक प्रशिक्षित टीम चौबीस घंटे मां और शावकों पर नजर रखे हुए है और उनकी देखभाल में लगे हुए हैं। इस बीच यह सुनिश्चित किया गया है कि उनके आसपास कोई अशांति या अव्यवस्था ना हो। इस बात को ध्यान में रहते हुए शावकों को जन्म के बाद 04 माह तक सार्वजनिक नहीं किया गया|
विदित हो कि एक और सफेद बाघिन ‘रक्षा’  ने 28 अप्रैल, 2023 को 03 नन्हें शावकों को जन्म दिया था। सितम्बर में जन्में दो शावकों के साथ ही मैत्री बाग में सफेद बाघों की कुल संख्या 10 हो गई है। सन 1997 में तरुण एवं तापसी की जोड़ी को नंदनकानन चिडियाघर ओडिसा से मैत्री बाग जू लाया गया था, तब से मैत्री बाग चिडियाघर में सफ़ेद शेर का कुनबा अधिक हुआ और मैत्री बाग जू द्वारा देश के 05 चिडियाघरों जवाहर लाल नेहरु जूलोंजिकल पार्क बोकारो, लखनऊ जूलोंजिकल गार्डन, राजकोट जूलोंजिकल पार्क राजकोट, इंदिरा गाँधी प्राणी संग्रहालय इंदौर, जूलोंजिकल & रेस्कुयु सेंटर मुकुंदपुर सतना मध्यप्रदेश में 12 से अधिक सफेद शेरों को दिया गया। वर्तमान में मैत्री बाग चिडियाघर में 10 सफ़ेद शेर है।
पशु चिकित्सा मानदंडों के अनुसार, स्तनपान और अन्य स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी के लिए शावकों को मां के साथ एक अंधेरे कमरे में रखा गया है। युवा शावकों की देखभाल करते समय बाघिन माँ अत्यधिक सतर्क और गुप्त रहना पसंद करती है, इसलिए गुफा जैसा माहौल बनाने, घूमने और पर्याप्त जगह बनाने के लिए बाघिन और नन्हें शावकों को नियंत्रित प्रकाश व्यवस्था के साथ एक अलग बाड़े में रखा गया है। बाघिनें जन्म के बाद, पहले कुछ दिनों तक अपने शावकों की देखभाल में लगभग अपना 70 प्रतिशत समय व्यतीत करती है। बाघिन माँ नियमित रूप से शावकों को केवल थोड़े समय के लिए खाने-पीने के लिए छोड़ती है, जिससे शावक लगभग 04 माह बाद पूर्ण रूप से मांस खाना सीख जाएं।
शावकों के पर्याप्त पोषण और स्वस्थ विकास और बेहतर दूध देने को सुनिश्चित करने के लिए माँ को भरपूर पानी, विशेष विटामिन और कैल्शियम युक्त स्वस्थ पुष्टिवर्धक भोजन दिए जा रहे हैं। लगभग साढ़े तीन महीने की गर्भावस्था अवधि के दौरान, बाघिन को उसके महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी के लिए पशु चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा नियमित रूप से प्रशासित किया जा रहा था। बाघ के बच्चे तापमान के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। सर्दी के मौसम को देखते हुए माँ और शावकों को बढ़ती ठण्ड से बचाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। दिसंबर एवं जनवरी के महीनों में मां और शावकों को गर्म तापमान देने के लिए बाड़े के अंदर अलाव लगाए गए हैं।

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